तिरंगे में लिपटे बेटे से मां बोलीं, मुझे अपने बेटे को सीने से तो लगा लेने दो
जांबाज मेजर चित्रेश बिष्ट की शहादत की खबर पाकर दो दिन से मां रेखा बिष्ट गुमसुम थीं। घर पर आ रही महिलाओं को देखकर वह केवल इतना कहती थीं कि सोनू तू हम सबको छोड़कर क्यों चला गया। लेकिन सोमवार को सुबह सवा...
जांबाज मेजर चित्रेश बिष्ट की शहादत की खबर पाकर दो दिन से मां रेखा बिष्ट गुमसुम थीं। घर पर आ रही महिलाओं को देखकर वह केवल इतना कहती थीं कि सोनू तू हम सबको छोड़कर क्यों चला गया। लेकिन सोमवार को सुबह सवा आठ बजे जैसे ही तिरंगे में लिपटा चित्रेश का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो रेखा अपने पति एसएस बिष्ट से लिपटकर बिलख पड़ी। इसके बाद वह ताबूत से चिपक गई। बोली मुझसे बहुत प्यार करता था ना बेटे, अब बोल क्यों नहीं रहा है सोनू। लोगों की ओर मुखातिब होते हुए कहती कोई तो इसे (ताबूत को) खोलो, एक बार तो मुझे अपने लाडले को सीने से लगाने दो। यह कहते हुए वह सुधबुध खो देती। घर की महिलाएं बामुश्किल उन्हें संभालती और पानी पिलाती। करीब एक घंटे तक मां यू ही बिलखती रही। कहा कि मेरा बेटा जब भी फोन करता था, मुझसे मेरे ठीक ठाक होने के बारे पूछता था। मुझसे बहुत प्यार करता था, लेकिन आज वह बोल नहीं रहा है।
मेजर अंकित बोले, मां हम सब आपके बेटे
शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को अंतिम विदाई देने बड़ी संख्या में सेना के अफसर एवं जवान भी पहुंचे थे। मां को बेसुध देख सेना के मेजर अंकित आगे आए और मां को सांत्वना देते हुए बोले, मां हमारा चित्रेश बहुत बहादुर था। देश की खातिर उसने अपने प्राणों की आहूति दे दी। हम सब आपके बेटे हैं। आप परेशान न हो। ईश्वर सब ठीक कर देगा।
बिलख पड़ा मेजर चित्रेश का दोस्त
शहीद मेजर चित्रेश का दोस्त सेना में अफसर जीएस रमोला अपने दोस्त की अंतिम यात्रा में बिलख पड़ा। रोते हुए कहता रहा कि मेरे दोस्त की जिंदगी की डिक्शनरी में डर नाम की कोई चीज नहीं थी। वह खतरों का खिलाड़ी था। इतना कहकर वह खामोश हो जाते और फिर उनकी आंखों से जार-जार आंसू बहने लगते।