लिव-इन रिलेशनशिप मामले में प्रार्थना पत्र नैनीताल हाईकोर्ट में स्वीकृत, दो धर्मों से जुड़ा हुआ है मामला
देहरादून निवासी अलग-अलग समुदाय के युवक और महिला की ओर से याचिका दायर कर कोर्ट से सुरक्षा दिलाने का अनुरोध किया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनके इस रिश्ते की वजह से उन्हें स्वजनों से खतरा है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे देहरादून के अंतर धार्मिक जोड़े की सुरक्षा से संबंधित मामले में पारित आदेश में सरकार की ओर से यूसीसी से संबंधित हिस्सा हटाने से संबंधित प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया है।
देहरादून निवासी अलग-अलग समुदाय के युवक और महिला की ओर से याचिका दायर कर कोर्ट से सुरक्षा दिलाने का अनुरोध किया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनके इस रिश्ते की वजह से उन्हें स्वजनों से खतरा है।
कोर्ट ने बीती 18 जुलाई को याचिका का निस्तारण करते हुए पुलिस को याचिकाकर्ताओं को छह सप्ताह की अवधि के लिए सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया था। कहा था कि यूसीसी के अनुसार 48 घंटे के भीतर रजिस्ट्रार के समक्ष पंजीकरण कराया जाता है।
तो सुरक्षा प्रदान की जाए। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से कोर्ट से आदेश को वापस लेने अथवा आदेश के पैराग्राफ संख्या तीन और चार को हटाकर संशोधित करने के लिए रिकॉल प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि सरकार के रिकॉल प्रार्थना पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
हालांकि आदेश वापस लेने की मांग पर आपत्ति है। सरकार की ओर से दलील दी गई कि राष्ट्रपति ने समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 को स्वीकृति दे दी है, लेकिन अधिनियम अभी तक लागू नहीं हुआ है।
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