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श्रमिकों के काम नहीं आ रही सरकारी योजनाएं,सहायता के वायदे भी फ्लाॅप

निर्माण श्रमिकों को सरकार से मिलने वाली सहायता कोविड के मुश्किल दौर में भी नहीं मिल रही है। पंजीकरण और नवीनकरण में उलझे मजदूर सिस्टम से हार चुके हैं। वैसे ही इन दिनों इनके पास काम भी नहीं रह गया है।...

श्रमिकों के काम नहीं आ रही सरकारी योजनाएं,सहायता के वायदे भी फ्लाॅप
हिन्दुस्तान टीम,देहरादून | संतोष चमोलीSun, 02 May 2021 01:15 PM
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निर्माण श्रमिकों को सरकार से मिलने वाली सहायता कोविड के मुश्किल दौर में भी नहीं मिल रही है। पंजीकरण और नवीनकरण में उलझे मजदूर सिस्टम से हार चुके हैं। वैसे ही इन दिनों इनके पास काम भी नहीं रह गया है। इन मजदूरों की सुनवाई नहीं हो रही है। राज्य में 3.70 लाख मजदूर पंजीकृत हैं। मजदूर दिवस पर हिन्दुस्तान’ ने ऐसे ही श्रमिकों से बात की, जो पंजीकृत तो हैं, पर इन्हें बच्चों की शिक्षा, बेटी की शादी और मौत पर मुआवजा तक नहीं मिला। रायपुर विद्या विहार निवासी निर्माण श्रमिक लज्जावती ने पिछले साल 23 दिसंबर को बेटी की शादी के बाद आर्थिक मदद के लिए कर्मकार बोर्ड में आवेदन किया।

पहले 50 हजार रुपये मिलने की बात कह रहे थे, अब बता रहे हैं कि जब मिलेंगे तो सिर्फ 25 हजार। पर, मिलेंगे कब इसका भी कुछ पता नहीं है। विकास लोक सहस्रधारा रोड निवासी कमलेश और राजो देवी ने भी बेटी के विवाह पर आर्थिक सहायता की उम्मीद में फॉर्म भरा था। कमलेश को नौ महीने और राजो देवी को आवेदन किए दो साल हो गए हैं। उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई है। कुंदन सिंह पंजीकृत होने के बावजूद पिछले साल अक्तूबर से आर्थिक मदद को चक्कर काट रहे हैं। चूना भट्टा निवासी अशोक कुमार ने बच्चों की शिक्षा के लिए आवेदन किया तो बताया कि पंजीकरण पुराना हो गया है। 

अब तो उम्मीद ही छोड़ दी
नया गांव शिमला बाईपास निवासी गोविन्द सिंह निर्माण कर्मकार बोर्ड में पंजीकृत मजदूर हैं। वे कहते हैं कि बेटी की शादी पर आर्थिक सहायता के लिए अप्रैल 2017 में आवेदन किया था, आज तक उस पर कुछ नहीं हुआ। एक पैसा तक नहीं मिला।

उम्र पूरी पर पेंशन नहीं लगी
डीएल रोड के रतिराम दो साल पूर्व 60 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं। 2015 में जब पंजीकरण कराया तो बताया कि 60 साल होने पर 1500 रुपये पेंशन मिलेगी। चक्कर काटे तो बताया-पंजीकरण पुराना है। नए पंजीकरण के दस साल बाद पेंशन मिलती है। 

नहीं मिल पाई सहायता
पंजीकृत मजदूर की मौत पर दो लाख रुपये के मुआवजे का भी प्रावधान है। कुसुम देवी ने पति उदल सिंह की मौत के बाद बीते साल जनवरी में मुआवजे के लिए आवेदन किया। कहती हैं कि तीन बच्चे हैं। अब वह खुद मजदूरी करती हैं। कोई सहायता नहीं मिली।

 

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