Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़Kargil Day: no place to install martyr Lance Naik Chandan Singh Bhandari statue

कारगिल  दिवस: शहीद लांसनायक चंदन सिंह भंडारी की प्रतिमा लगाने तक को जगह नहीं

कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेने वाले शहीद लांसनायक चंदन सिंह भंडारी की प्रतिमा लगाने तक के लिए प्रशासन के पास जमीन नहीं है। उनका परिवार गुहार लगाते-लगाते थक चुका है। कोई कार्रवाई नहीं हुई।

Himanshu Kumar Lall हल्द्वानी, पुष्कर अधिकारी, Wed, 26 July 2023 11:54 AM
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कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेने वाले शहीद लांसनायक चंदन सिंह भंडारी की प्रतिमा लगाने तक के लिए प्रशासन के पास जमीन नहीं है। उनका परिवार गुहार लगाते-लगाते थक चुका है। इसके बाद भी कोई मदद नहीं मिली तो उन्होंने प्रतिमा को घर में रख लिया है। 

आर्मी एयर डिफेंस में तैनात रहे चंदन सिंह का जन्म 12 अक्तूबर 1965 को मूल रूप से बेतालघाट के ग्राम सिमलखा निवासी टीका सिंह और पार्वती देवी के घर में हुआ। चंदन 22 अगस्त 1985 को सेना में भर्ती हुए। 20 अगस्त 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में वीरगति को प्राप्त हुए। सेना मेडल से सम्मानित चंदन सिंह की पत्नी अनिता भंडारी बच्चों के साथ वर्तमान में छड़ायल सुयाल मानपुर पश्चिम हल्द्वानी में रहती हैं।

वह बताती हैं कि दो वर्ष पूर्व सेना के अधिकारियों ने उनके घर आकर पति की प्रतिमा सौंपी थी। इसके बाद प्रदेश के एक मंत्री ने उनके पेट्रोल पंप पर प्रतिमा का उद्घाटन किया। लेकिन पेट्रोलियम कंपनी की आपत्ति के बाद उसी दिन प्रतिमा को हटाना पड़ा।

दो साल पंप में पड़ी रही: कैप्टन (सेनि) नारायण सिंह बताते हैं कि जिस दिन प्रतिमा का उद्घाटन हुआ उसी दिन उसे वहां से हटा दिया गया था। इसके बाद प्रतिमा को पंप पर रख दिया गया। उन्होंने भी मंत्रियों, पंप के उच्च अधिकारियों और सांसद को ज्ञापन भेजा। लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। डेढ़ महीने पहले परिजन प्रतिमा को घर ले गए।

नौकरी, सड़क के वादे अधूरे अनिता के अनुसार सरकार ने पेट्रोल पंप, बच्चों को सरकारी नौकरी देने की बात कही थी। गांव में सड़क और गेट चंदन के नाम पर रखने का वादा किया था। केवल पेट्रोल पंप का वादा पूरा किया।

छुट्टी पर आए चंदन को 10 दिन बाद ही बुलाया था
अनिता भंडारी बताती हैं कि युद्ध शुरू होने से पहले उनके पति दो माह की छुट्टी पर आए थे। लेकिन 10 दिन बाद ही उन्हें वापस बुला लिया गया। इसके बाद उनकी शहादत की खबर मिली। उस समय बड़ी बेटी संध्या आठ साल, बड़ा बेटा नितेश छह साल और छोटा बेटा निखिल दो साल के थे। 

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