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दरारें, दर्द और मिटा नामो-निशान...जोशीमठ पीड़ितों के विस्थापन की राह नहीं आसान; फ्लॉप हुआ धामी सरकार का प्लान

जोशीमठ भू-धंसाव (Joshimath Land Subsidence) के आपदा प्रभावित परिवारों के विस्थापन और पुनर्वास के लिए उत्तराखंड सरकार पर आपदा राहत के मानक और जनअपेक्षाओं के बीच संतुलन साधने की चुनौती होगी।

दरारें, दर्द और मिटा नामो-निशान...जोशीमठ पीड़ितों के विस्थापन की राह नहीं आसान; फ्लॉप हुआ धामी सरकार का प्लान
Himanshu Kumar Lallदेहरादून। विशेष संवाददाताTue, 31 Jan 2023 07:16 PM

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जोशीमठ भू-धंसाव (Joshimath Land Subsidence) के आपदा प्रभावित परिवारों के विस्थापन और पुनर्वास के लिए उत्तराखंड सरकार पर आपदा राहत के मानक और जनअपेक्षाओं के बीच संतुलन साधने की चुनौती होगी। हाईपावर कमेटी में पास हुए सर्किल रेट के आधार पर भूमि मुआवजा देने के प्रस्ताव पर स्थानीय लोग सहमत नहीं है।

हालांकि कमेटी की ओर से सर्किल रेट का दोगुना मुआवजा देने की सिफारिश करने का संकेत दिए गए हैं। लेकिन आपदा प्रभावितों की मांग सर्किल रेट से करीब सात गुना ज्यादा की है। मुआवजे को लेकर जोशीमठ के आपदा प्रभावितों की दो मुख्य मांगों में एक को हाईपावर कमेटी ने स्वीकार कर लिया है।

इसके तहत इमारतों का मुआवजा सीपीडब्लूडी के मानक के अनुसार दिया जाना है। लेकिन भूमि के मुआवजे को लेकर फिलहाल फैसला कैबिनेट पर छोड़ दिया गया है। सूत्रों के अनुसार जिला स्तरीय कमेटी ने भूमि का मुआवजा वर्तमान सर्किल रेट को बढ़ाकर देने की सिफारिश की है। इसी सिफारिश को हाईपावर कमेटी ने भी माना है। लेकिन स्थानीय लोग इस प्रस्ताव से सहमत नहीं है।

लोगों का कहना है कि जोशीमठ से विस्थापित होने के बाद प्रभावित परिवारों के सामने अपने जीवन और आजीविका को दोबारा से शुरू करने की चुनौती होगी। जोशीमठ जैसा माहौल और वातावरण दूसरे स्थान पर मिलना मुश्किल है। बदले हालात में इन परिवारों को दोबारा से जड़ें जमाने के लिए आर्थिक रूप से अधिक सशक्त होना जरूरी है।

जोशीमठ धार्मिक महत्वपूर्ण का शहर है। इसकी तुलना अन्य शहरों से नहीं की जा सकती। प्रशासन के स्तर पर सर्किल रेट पर मुआवजा देने की बात की जा रही है, लेकिन यहां सर्किल रेट और वास्तविक रेट में जमीन आसमान का अंतर है। इसलिए आपदा प्रभावितों को प्रति नाली 40 से 45 लाख रुपये के बीच मुआवजा दिया जाना चाहिए।
शैलेंद्र सिंह पंवार, अध्यक्ष-नगर पालिका

'प्रदेश में पहली बार आपदा प्रभावितों की सलाह और सुझाव के आधार पर विस्थापन पैकेज तैयार किया जा रहा है। यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ आपदा पैकेज है। हाईपवार कमेटी से मंजूर प्रस्तावों पर अंतिम रूप से कैबिनेट में चर्चा के बाद ही निर्णय किया जाएगा। सरकार अपने स्तर से निसंदेह ज्यादा से ज्यादा करने का प्रयास करेगी।
अजेंद्र अजय, जोशीमठ के लिए सीएम के विशेष प्रतिनिधि व बीकेटीसी के अध्यक्ष 

विस्थापन से पहले सरकार के नाम करानी होगी जमीन
देहरादून। आपदा प्रभावित क्षेत्र से विस्थापित होने वाले परिवारों को अपनी भूमि सरकार में निहित करानी होगी। आपदा पुनर्वास पैकेज में इस बिंदू को अनिवार्य रूप से रखा जाएगा। सूत्रों के अनुसार हाई पावर कमेटी का मानना हैकि विस्थापित होने वाले लोगों की सुरक्षा और भविष्य में होने वाले किसी भी विवाद से बचने के लिए यह जरूरी है। यदि भूमि प्रभावितों के नाम पर रहती है तो भविष्य में इस भूमि पर दोबारा दावा किया जा सकता है।

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