इंटरनेट कनेक्टिविटी हासिल करने का निकाला बढ़िया तोड़, इंटरनेट बैलून करेगा मदद
उत्तराखंड में आपको कई ऐसे इलाके मिल जाएंगे जहां पर इंटरनेट और मोबाईल सुविधा उपलब्ध नहीं है। ल
इंटरनेट कनेक्टिविटी हासिल करने का निकाला बढ़िया तोड़, इंटरनेट बैलून करेगा मदद
उत्तराखंड में आपको कई ऐसे इलाके मिल जाएंगे जहां पर इंटरनेट और मोबाईल सुविधा उपलब्ध नहीं है। लोगों को होने वाली इस मुसीबतें का जल्द ही निपटारा होने वाला है। इंटरनेट बैलून की मदद से यह संभव हो पाएगा। हीलियम गैस का यह गुब्बारा कनेक्टिविटी उपकरणों को साथ लेकर आसमान में सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए 20 से 30 किलोमीटर तक की रेंज में इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी मुहैया कराएगा।
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ऊंचाई बढ़ने के साथ इसकी रेंज भी बढ़ती जाएगी। खास बात यह है कि उत्तराखंड में उड़ने वाला यह गुब्बारा देश का पहला इंटरनेट बैलून होगा। आईआईटी मुंबई और उत्तराखंड आईटी डेवलपमेंट एजेंसी (यूआईटीडीए) के इस संयुक्त प्रोजेक्ट को नवंबर अंत तक लांच किया जाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 50 लाख रुपये की लागत आ रही है। हालांकि, यह अभी तय नहीं है कि पहला गुब्बारा कहां उड़ाया जाएगा और किस क्षेत्र के गांवों को इसका लाभ मिलेगा।
आपदा राहत में मददगार साबित होगी तकनीक
खास मैटीरियल से बने गुब्बारे में हीलियम गैस भरी जाएगी। गुब्बारे में एक एंटीना होगा, जो जमीन पर मौजूद बेस स्टेशन से जुड़ा रहेगा। सिग्नल ऑन होते ही गुब्बारे का एंटीना पूरे क्षेत्र में कनेक्टिविटी दे पाएगा। इस तकनीक से पहाड़, मैदान या दुर्गम रेगिस्तानी इलाकों में भी कनेक्टिविटी दी जा सकेगी। खास बात यह है कि यह बैलून हर मौसम में काम करेगा। ऐसे में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान त्वरित राहत-बचाव और सूचनाओं के आदान-प्रदान में यह खासा मददगार साबित होगा। हालांकि, इसमें समय-समय पर हीलियम गैस भरनी होगी।
आगे की स्लाइड में जानें— गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियां कर रही हैं इस प्रोजेक्ट पर काम
गूगल-फेसबुक कंपनी भी कर रही इस पर काम
दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन चलाने वाली गूगल भी इस तकनीक पर काम कर रहा है। कंपनी ने प्रोजेक्ट लूप के तहत जमीन से करीब 25 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की स्ट्रेस्टोफेयर में एक गुब्बारा स्थापित किया है। पॉलीएथीलीन से बने इस गुब्बारे के भीतर सभी जरूरी उपकरण फिट हैं, जो बड़े इलाके में इंटरनेट कनेक्टिविटी दे रहा है। बैलून पर लगे सोलर पैनल इसे ऊर्जा देते हैं। इसी तरह फेसबुक भी दुनियाभर में इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने के लिए इसी तकनीक को आगे बढ़ा रहा है।