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स्वतंत्रता दिवस 2018: दून में आज भी मौजूद है स्वतंत्रता सेनानियों की निशानी

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का दून से गहरा रिश्ता रहा है। वर्ष 1906 में वह मसूरी आए थे और दून व मसूरी के अतुलनीय सौंदर्य के मुरीद हो गए। देश की आजादी की खातिर वह दून की जेल में चार...

स्वतंत्रता दिवस 2018: दून में आज भी मौजूद है स्वतंत्रता सेनानियों की निशानी
देहरादून, लाइव हिन्दु‍स्तान टीम Tue, 14 Aug 2018 12:15 PM
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देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का दून से गहरा रिश्ता रहा है। वर्ष 1906 में वह मसूरी आए थे और दून व मसूरी के अतुलनीय सौंदर्य के मुरीद हो गए। देश की आजादी की खातिर वह दून की जेल में चार बार कैद रहे थे। पुरानी जेल की कोठरी में वर्ष 1932 से 1941 के बीच वह 878 दिन कैद रहे। प्रिंस चौक के पास पुरानी जेल परिसर में बना नेहरू वार्ड आज भी उनके संघर्षों की याद दिलाता है। इसी दौरान उन्होंने 'भारत एक खोज' के कई अंश भी लिखे। इसका गवाह जेल परिसर में मौजूद आम का पेड़ है। चांद की रोशनी में वह इस पुस्तक के अंश लिखा करते थे। आज भी यहां पर नेहरू का स्नानागार, रसोई, पाकशाला आदि मौजूद हैं। 
प्रदेश सरकार की ओर से कुछ समय पूर्व  जिला कारागार को सुद्धोवाला शिफ्ट कर दिया है. जिसके बाद से अब इस कैंपस में केवल नेहरू वार्ड ही मौजूद है। जिसे पुरानी जेल के नाम से जाना जाता है।

बरेली की जेल से दून पहुंचे थे नेहरू 
यूथ क्लब अध्यक्ष शिवा वर्मा ने बताया कि इतिहास के पन्ने पढ़ें तो मालूम होता है कि अंग्रेजों की हुकुमत के दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू को एक नहीं चार बार देहरादून की जेल में लाया गया. बताया जाता है कि आजादी के लिए आंदोलन में कूदे पं. नेहरू को दून की कारागार में लाने से पहले बरेली की जेल में रखा गया था, लेकिन गर्मी बर्दाश्त न कर पाने के कारण बरेली की जेल में उनके नाक से खून बहने लगा. उसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें ठंडे स्थान पर मौजूद जेलों में शिफ्ट करने का निर्णय लिया. वैसे भी दून अपनी शुद्ध आबोहवा के लिए उस वक्त व‌र्ल्डफेम हुआ करता था. यही वजह रही कि पं. नेहरू को देहरादून की ठंडी वादियों के बीच दून की जेल में शिफ्ट किया गया था।

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