बीपी-शुगर दवाओं की गुणवत्ता पर है शक तो मत लें टेंशन, जांच का भी है प्लान
दवाओं के विभाग द्वारा लिए सैंपलों की जांच विभागीय लैब में होती है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाती है। लेकिन अब एफडीए ने जनता को भी दवाओं की सैंपलिंग कराने की सुविधा दे दी है।
उत्तराखंड में दवाओं की गुणवत्ता पर शक होने पर आमजन खुद उसकी जांच करा सकते हैं। आम लोगों के लिए राज्य फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने यह सुविधा शुरू की है। उत्तराखंड में अभी तक दवाओं की सैंपलिंग औषधि विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर ही करते हैं।
दवाओं के विभाग द्वारा लिए सैंपलों की जांच विभागीय लैब में होती है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाती है। लेकिन अब एफडीए ने जनता को भी दवाओं की सैंपलिंग कराने की सुविधा दे दी है। इसके तहत यदि किसी व्यक्ति को किसी दवा की गुणवत्ता पर संदेह है तो वो उसकी जांच करा सकता है।
इसके लिए संबंधित व्यक्ति को दवाई का सैंपल, दून में डांडा लखौंड स्थित एफडीए कार्यालय की लैब तक पहुंचाना होगा। लैब सैंपल जांचेगी और उसके बाद मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई होगी। एफडीए के अपर आयुक्त और राज्य के ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि दवाओं की गुणवत्ता सुधारने और निगरानी बढ़ाने के लिए आमजन को भी दवा की जांच कराने का अधिकार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि दवाई की जांच के बदले केंद्र सरकार द्वारा तय की गई फीस जमा करानी होती है। उन्होंने कहा कि जांच में दवाई फेल पाए जाने पर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
जांच के लिए देनी होगी फीस
नियमों के तहत यदि किसी व्यक्ति को दवाई के सैंपल की जांच करानी है तो इसके बदले उसे पहले एफडीए कार्यालय में न्यूनतम 1500 रुपये फीस जमा करानी होगी। यदि दवा में एक से अधिक सॉल्ट हैं तो प्रति सॉल्ट 500 रुपये अतिरिक्त जमा कराने होंगे। एफडीए के अधिकारियों ने बताया कि यह फीस केंद्र सरकार ने तय की है और राज्य सरकार ने भी इन्हीं दरों को मंजूरी दी है।