ऐसे कैसे बेरोजागरों को मिलेगी नौकरी, अफसरों की ढिलाई से एसएसए आउटसोर्स जॉब पर संकट
उत्तराखंड के नौजवानों को रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर देने के सीएम पुष्कर सिंह धामी के संकल्प को शिक्षा विभाग में पलीता लग रहा है। समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत बीआरपी-सीआरपी का मामला है।
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उत्तराखंड के नौजवानों को रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर देने के सीएम पुष्कर सिंह धामी के संकल्प को शिक्षा विभाग में पलीता लग रहा है। समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत बीआरपी-सीआरपी की नियुक्ति का मामला तो यही साबित कर रहा है। अगस्त में 955 पदों पर आउटसोर्सिंग से नियुक्ति के फैसले के बावजूद अब तक शिक्षा विभाग काम शुरू नहीं कर पाया।
यह मामला शासन और एसएसए के बीच फाइलबाजी में अटके रहने की वजह से पूरी प्रक्रिया रुकी हुई है। देरी की वजह से बीआरपी-सीआरपी के लिए दिए गए बजट से तीन महीने के मानदेय का पैसा उत्तराखंड के हाथ से निकल गया। यदि आगे भी भर्ती न हुई तो मार्च तक के लिए तय बजट का भी लाभ नहीं मिलेगा।
डीजी-शिक्षा एवं निदेशक-एसएसए बंशीधर तिवारी ने इस मामले में ज्यादा टिप्पणी तो नहीं की। लेकिन, यह जरूर कहा कि भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रतिमाह तय 40 हजार मानदेय: एसएसए के तहत बेसिक और जूनियर स्तर पर शैक्षिक सुधार के लिए 285 बीआरपी और 670 सीआरपी नियुक्त किए जाने हैं।
इनके मानदेय का पूरा खर्च केंद्र सरकार ही देती है। बीआरपी-सीआरपी का काम बेसिक और जूनियर स्कूलों में शिक्षकों की सहायता करना है। पिछले करीब पांच साल से शिक्षा विभाग इन पदों को नहीं भर पाया है। बीआरपी और सीआरपी के लिए 40 हजार मानदेय तय है।
तो क्या केंद्र से तथ्य छिपा रहा महकमा?
एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि बीआरपी-सीआरपी की भर्ती एसएसए के तहत अनिवार्य रूप से की जानी है। लेकिन, यहां विभाग इसे कर नहीं पा रहा है। पिछले पांच साल से केंद्र सरकार के सामने तथ्य छिपाकर पेश करने पड़ रहे हैं। इस साल केंद्र ने उत्तराखंड के वादे पर छह महीने का मानदेय मंजूर कर दिया था।
भर्ती न हुई तो भविष्य में मंजूरी मिलनी मुश्किल
इस साल बीआरपी-सीआरपी की नियुक्ति न हो पाई तो उत्तराखंड के लिए भविष्य में काफी मुश्किल हो सकती है। केंद्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के प्लान में काफी मुश्किल से छह महीने का बजट मंजूर किया। इस साल नियुक्ति न हुई तो अगले वर्ष के लिए मंजूरी लेने में दिक्कत होगी। केंद्र सरकार इनकार भी कर सकती है।