तो क्या 250 बीघा वन भूमि पर बन गए घर-खेत, अतिक्रमण से जुड़ा हुआ है मामला
दरअसल, वन विभाग में ‘बाघ की खाल निकालने’ वाले सर्वेयर नाम से मशहूर रहे सीपी डोभाल ने आरटीआई के तहत इस इलाके के राजस्व और वन विभाग के रिकॉर्ड के साथ उससे जुड़े कई दस्तावेज मांगे थे।
रायपुर रेंज के तरला आमवाला में दो-चार नहीं, बल्कि दो सौ से ढाई सौ बीघा तक रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण है। वहां पर मकान ही नहीं बनाए गए, बल्कि अवैध रूप से खेत खोदकर फसलें भी बोई जा रही हैं। वन विभाग के सबसे अनुभवी एवं रिटायर सर्वेयर ने यह दावा करते हुए आरटीआई के दस्तावेजों के साथ पीसीसीएफ डॉ. धनंजय मोहन और जिलाधिकारी सोनिका से शिकायत की है।
उन्होंने इसके लिए वन विभाग के वन भूमि से जुड़े नक्शे में गड़बड़ी को भी जिम्मेदार बताया। दरअसल, वन विभाग में ‘बाघ की खाल निकालने’ वाले सर्वेयर नाम से मशहूर रहे सीपी डोभाल ने आरटीआई के तहत इस इलाके के राजस्व और वन विभाग के रिकॉर्ड के साथ उससे जुड़े कई दस्तावेज मांगे थे। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि राजस्व रिकॉर्ड में गड़बड़ी के चलते करीब 38 एकड़ वन क्षेत्र रिजर्व फॉरेस्ट से बाहर हो गया।
इतना ही नहीं, यहां पट्टे भी बांट दिए गए, जो जांच में सामने आ सकता है। दूसरी ओर, इस मामले में पीसीसीएफ डॉ. धनंजय मोहन का कहना है कि एनजीटी के आदेश पर जांच-पड़ताल जारी है। इस मामले में सभी बिंदुओं को शामिल किया जाएगा।
जमीन के रिकॉर्ड में काफी भिन्नताएं: डोभाल
सीपी डोभाल के अनुसार, इन दस्तावेजों की गहन पड़ताल में उन्होंने पाया कि वहां के धारा-20 के गजट नोटिफिकेशन और राजस्व रिकॉर्ड में काफी भिन्नता मिली। वहां रिजर्व फॉरेस्ट का क्षेत्र कम दिखाया गया। लिहाजा, गजट नोटिफिकेशन, सीमा विवरण, धारा-20 मानचित्र, वन बंदोबस्ती और राजस्व रिकॉर्ड का मिलान करते हुए रिजर्व फॉरेस्ट का सही आकलन हो सकता है।
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