ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तराखंडहिमाचल प्रदेश में जीत के बाद कांग्रेस में आई जान, उत्तराखंड में भाजपा को घेरने का बना प्लान

हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद कांग्रेस में आई जान, उत्तराखंड में भाजपा को घेरने का बना प्लान

हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद कांग्रेस में जान आ गई है। उत्तराखंड में भाजपा सरकार को घेरने को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्लान बनाया है।  महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, ओपीएस मुद्दों को शामिल किया।

हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद कांग्रेस में आई जान, उत्तराखंड में भाजपा को घेरने का बना प्लान
Himanshu Kumar Lallदेहरादून। विशेष संवाददाताSat, 10 Dec 2022 12:43 PM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद कांग्रेस में जान आ गई है। उत्तराखंड में भाजपा सरकार को घेरने को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्लान बनाया है। 
महंगाई, भ्रष्टाचार, ओपीएस, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था के साथ कांग्रेस को उत्तराखंड में चुनावों के लिए एक नया हथियार मिल गया है। हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना के दांव की कामयाबी से उत्साहित कांग्रेस अब उत्तराखंड में भी कर्मचारियों के कंधे से कंधा मिलाएगी।

उत्तराखंड प्रदेश में दो लाख से ज्यादा शिक्षकों व कर्मचारियों से जुड़े इस मुद्दे में कांग्रेस को आगामी चुनावों के लिए संजीवनी की झलक दिखने लगी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में साफगोई से माना कि हिमाचल में कांग्रेस को मिली जीत में पुरानी पेंशन का मुद्दा भी बड़ा फैक्टर रहा।

बकौल माहरा, मैंने ये मुद्दा हाईकमान के सामने उठाया था। उसके बाद पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस शासित दो राज्यों ने इसे लागू भी किया। हिमाचल में विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने का वादा किया था। इस वजह से और भाजपों के जुमलों से परेशान कर्मचारियों व उनके परिजनों ने कांग्रेस का समर्थन किया।

मालूम हो उत्तराखंड के विस चुनाव में भी हालांकि कांग्रेस कर्मचारियों के पेंशन के मुद्दे पर सक्रिय थी, पर खुलकर समर्थन नहीं कर पाई। लेकिन, इस मुद्दे पर कर्मियों की भावनाएं महसूस करते हुए उत्तराखंड चुनाव के बाद राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन लागू कर दी गई।

उत्तराखंड में भी कर्मचारी पुरानी पेंशन के लिए लंबे समय से आंदोलित हैं। कांग्रेसशासित राज्यों में पुरानी पेंशन लागू होने के बाद कर्मचारी संगठन अकसर ही उलाहने देते हैं। इस संबंध में राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि सांसद-विधायक जनसेवा के लिए आते हैं पर उनका एक दिन का भी कार्यकाल हो तो उनकी पेंशन बंध जाती है।

कर्मचारी 35 से 40 साल तक सेवा करता है पर उससे पेंशन का अधिकार छीन लिया गया। क्या ये दोहरे मानक नहीं? पहले कहा जाता था कि पुरानी पेंशन लागू नहीं हो सकती लेकिन देश के पांच राज्य इसे लागू कर रहे हैं। केंद्र सरकार को चेत जाना चाहिए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें