विधानसभा में नियुक्तियों पर हाईकोर्ट में सुनवाई, उत्तराखंड सरकार से मांगा ये जवाब
हाईकोर्ट नैनीताल ने विधानसभा सचिवालय में की गई अवैध नियुक्तियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने विधानसभा सचिवालय एवं सरकार को नोटिस जारी किया।
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हाईकोर्ट नैनीताल ने विधानसभा सचिवालय में की गई अवैध नियुक्तियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने विधानसभा सचिवालय एवं सरकार को नोटिस जारी कर एक मई तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए एक मई की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार, देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2000 से अब तक बैकडोर नियुक्तियां की गई हैं।
साथ ही भ्रष्टाचार एवं अनियमितताएं भी व्याप्त हैं। इस पर सरकार ने एक जांच समिति बनाकर 2016 से अब तक की भर्तियों को निरस्त कर दिया। लेकिन यह बैकडोर भर्ती घोटाला राज्य गठन से ही चल रहा है। वर्ष 2000 से 2015 तक हुई नियुक्तियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस पर सरकार ने अनदेखी की है। अपने करीबियों को बैकडोर से नौकरी देने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री सामने नहीं आ रहे हैं। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि सरकार ने 2003 के शासनादेश में तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान के अनुच्छेद 14, 16 व 187 का उल्लंघन तथा हर नागरिक को सरकारी नौकरियों में समान अधिकार एवं नियमानुसार भर्ती का प्रावधान दिया है।
याचिका में आरोप है कि यहां उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 एवं उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमावलियों का उल्लंघन किया गया है। राज्य निर्माण के बाद से वर्ष 2022 तक विधानसभा सचिवालय में हुईं समस्त नियुक्तियों की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में करायी जाए।
भ्रष्टाचारियों से सरकारी धन वसूल किया जाए। याचिका में कहा है कि सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य करते हुए अपने करीबियों की बैकडोर भर्ती नियमों को ताक में रखकर की है। जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार एवं शिक्षित युवाओं के साथ धोखा हुआ है। यह सरकारों का जघन्य भ्रष्टाचार है। वर्तमान सरकार भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।