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7 दशक में 25 हजार से साढ़े 4 लाख लोगों का हुआ उत्तराखंड का शहर, हल्द्वानी गांव से नगर बना और महानगर बन गया

करीब 188 साल पहले हल्द्वानी को कारोबार के लिहाज से बसाया गया था। पहाड़-मैदान क्षेत्र से व्यापारी यहां आकर सामान बेचते थे। 7 दशक में 25 हजार से साढ़े 4 लाख लोगों का हल्द्वानी हो गया। गांव से महानगर है

7 दशक में 25 हजार से साढ़े 4 लाख लोगों का हुआ उत्तराखंड का शहर, हल्द्वानी गांव से नगर बना और महानगर बन गया
Himanshu Kumar Lallहल्द्वानी। सुमित जोशी दीक्षा बिष्टThu, 11 Aug 2022 01:33 PM

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करीब 188 साल पहले हल्द्वानी को कारोबार के लिहाज से बसाया गया था। पहाड़-मैदान क्षेत्र से व्यापारी यहां आकर सामान बेचते थे। बसासत नाम मात्र की थी। दूर-दूर तक जंगल था। लेकिन समय गुजरने के साथ हल्द्वानी गांव से नगर बना और आज महानगर बन गया है। 

देश की आजादी के बाद 1951 में हुई पहली जनगणना में यहां की आबादी 25,025 थी जो 71 साल 18 गुना बढ़कर वर्तमान में करीब साढ़े चार लाख हो गईहै।  अब बाजार क्षेत्र में तो पैर रखने की जगह तक नहीं होती। डॉ. किरन त्रिपाठी की हल्द्वानी मंडी से महानगर की ओर.., स्व. आनंद बल्लभ उप्रेती की हल्द्वानी: स्मृतियों के झरोखों से.. पुस्तक में हल्द्वानी की विकास यात्रा का वर्णन किया गया है।

बताया जाता है कि 1834 में अंग्रेज इंजीनियर ट्रेल ने हल्द्वानी शहर बसाया था। उस वक्त कुछ गांव ही हुआ करते थे। 1850 के बाद यहां पक्के मकान बनने शुरू हुए और 1857 तक स्थायी बसासत शुरू होने की बात सामने आती है। पहाड़ से लोग यहां सर्दियों में खेती करने आते थे। पुस्तकों के अनुसार भारत में 1881 को हुई पहली जनगणना में यहां की आबादी 4,012 थी, जो दूसरी में बढ़कर 6,042 हो गई।

नगर निगम:1856 में हल्द्वानी टाउन एरिया बना और 1885 में नगरपालिका का दर्जा मिला। 1942 में दोबारा नगर पालिका घोषित हुआ। शहर के विस्तार के साथ कुमाऊं के प्रवेश द्वारा को महानगर का दर्जा मिला। 2013 में हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम बना दिया गया। वर्तमान में यहां 60 वार्ड और 26 हजार भवन करदाता पंजीकृत हैं। दुकानों की संख्या करीब पांच हजार हैं।

शिक्षा:1888 में हल्द्वानी में पहला अंग्रेजी माध्यम का स्कूल बना। इसे लाला बाबू लाल ने बनवाया। वर्तमान में यहां एमबी इंटर कॉलेज है। 1960 में पहला उच्च शिक्षा संस्थान एमबी डिग्री कॉलेज बना। 1980 में इसका प्रांतीयकरण हुआ। एमबी स्नातकोत्तर कॉलेज बना। वर्तमान में यहां 300 से ज्यादा स्कूल और 10 उच्च शिक्षा संस्थान चल रहे हैं।

स्वास्थ्य:हल्द्वानी मौजूद समय में तीन सरकारी अस्पतालों के अलावा 150 से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल और क्लिनिक हैं। 1930 से पहले यहां सिर्फ एक अस्पताल था। 1970 के बाद शहर में निजी चिकित्सालय खुलने की बात सामने आती है। यहां डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल भी बना जो ट्रस्ट चलाता था। बाद में अस्पताल का राजकीयकरण हुआ। बाद में मेडिकल कॉलेज बना।

1950 में नैनीताल रोड पर ज्यादा आबादी नहीं थी। 1960 में रामपुर रोड पर तेल का कारोबार शुरू किया। आज हर जगह मकान बन गए हैं। आबादी इतनी बढ़ चुकी है कि बाजार में पैर रखने तक की जगह नहीं होती है।  
वेद प्रकाश अग्रवाल, कारोबारी 

हम 1952 से हल्द्वानी में रह रहे हैं। 60 साल पहले अधिकांश क्षेत्र में जंगल होता था। उस समय शहर में बस एक ही कॉलेज था और 6 स्कूल स्कूल थे। लेकिन धीरे-धीरे आबादी बढ़ती रही और आज स्वरूप बदल गया है। 
राजेंद्र मेहरा, व्यापारी 

70 साल हल्द्वानी में रह रहे हैं। उस समय शहर में बस दो ही अस्पताल थे और एक मेडिकल स्टोर। मुखानी, काठगोदाम सब जगह खेत ही खेत थे। बस 3-4 लोगों के पक्के मकान थे बाकि लोग झोपड़ी में रहा करते थे। 
पूरन सिंह नेगी, कृषक 

शहर की आबादी को 30 हजार से लाखों में बदलते देखा है। जिस तरह आबादी में इजाफा हुआ है उसी तरह से तहत संसाधन भी बढ़ गए है। वर्तमान में बाजार क्षेत्र में चले जाएं तो पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।
गोपाल सिंह धौनी, कृषक 

 

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