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देश में पिछले 12 दशक में 90 फीसदी घटी गुलदार की आबादी

इंसानों के आसपास रहने वाले सबसे खतरनाक जानवर गुलदार की आबादी काफी तेजी से घट रही है। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। पिछले करीब 120 सालों में देश से इनकी आबादी 75 से 90 फीसदी तक घट गई है। भारतीय...

देश में पिछले 12 दशक में 90 फीसदी घटी गुलदार की आबादी
ओमप्रकाश सती, देहरादून।Wed, 01 Jul 2020 08:18 AM
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इंसानों के आसपास रहने वाले सबसे खतरनाक जानवर गुलदार की आबादी काफी तेजी से घट रही है। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। पिछले करीब 120 सालों में देश से इनकी आबादी 75 से 90 फीसदी तक घट गई है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक शोध में ये बात सामने आयी है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक सम्राट मंडल और उनकी टीम ने देश भर में गुलदारों के जीन्स पर शोध किया। इसके लिए नार्थ इंडिया(शिवालिक,तराई,हिमालय), सेंट्रल इंडिया,नार्थ ईस्ट और वेस्टर्न घाट से चार सब पापुलेशन के आधार पर एक हजार से ज्यादा सेंपल लिए गए। जिनके आधार पर अध्ययन के बाद  ये सामने आया कि देश में करीब 120 सालों में गुलदारों की संख्या 75 से 90 फीसदी तक घटी है। जिसमें सबसे ज्यादा कर्मी शिवालिक में आई जो 90 फीसदी रही। जबकि तराई में 88 फीसदी और वेस्टर्न घाट में 75 फीसदी की गिरावट आयी। मंडल के अनुसार गुलदारों को लेकर लोगों में सिर्फ यही धारणा है कि इनकी आबादी लगातार बढ़ने से ही इनका मानव से आए दिए संघर्ष हो रहा है।

लैंड यूज चेंज और शिकार सबसे बड़ा कारण
मंडल के अनुसार शोध में जो सामने आया उससे ये लगता है कि इन सालों में भारतीय उपमहाद्वीप में लैंड यूज चेंज(खेती बाड़ी बढ़ना, जंगलों में बदलाव, प्राकृतिक आवास कम होना), शिकार, मानव से संघर्ष, आपसी संघर्ष जैसे कुछ मुख्य कारण रहे जो इनकी संख्या इतनी ज्यादा घटी। इसके अलावा कारणों को विस्तार से अध्ययन करना होगा। तभी इतने बड़े बदलाव की असल वजह सामने आ पाएगी।

गणना और संरक्षण जरूरी
शोधकर्ता वैज्ञानिक सम्राट मंडल के अनुसार जिस तरह से गुलदारों की संख्या में इतनी कमी आयी है ये चिंताजनक है। इसके लिए इनकी गणना और इनके संरक्षण को लेकर योजना बनानी होगी। जैसे आज पूरी दुनिया बाघ के संरक्षण को लेकर संजीदा है उसी तरह गुलदार के संरक्षण को लेकर भी करना होगा। नहीं हो सकता है कि आने वालो कुछ दशकों में इनकी संख्या बेहद कम हो जाए। 

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