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प्रदेश में नौकरी कर रहे शिक्षकों के स्थायी निवास-ओबीसी प्रमाणपत्रों पर उठे सवाल, दूसरों राज्यों से भी बनवाए फर्जी प्रमाणपत्र 

अमान्य और जाली प्रमाणपत्रों के जरिए नौकरी कर रहे शिक्षकों की जांच में एक नया खेल सामने आ रहा है। दूसरे राज्यों में बनाए शैक्षिक योग्यता के प्रमाणपत्र तो जाली मिले ही हैं, उत्तराखंड में बनाए स्थायी...

प्रदेश में नौकरी कर रहे शिक्षकों के स्थायी निवास-ओबीसी प्रमाणपत्रों पर उठे सवाल, दूसरों राज्यों से भी बनवाए फर्जी प्रमाणपत्र 
हिन्दुस्तान टीम देहरादून | चंद्रशेखर बुड़़ाकोटीFri, 11 Sep 2020 01:12 PM
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अमान्य और जाली प्रमाणपत्रों के जरिए नौकरी कर रहे शिक्षकों की जांच में एक नया खेल सामने आ रहा है। दूसरे राज्यों में बनाए शैक्षिक योग्यता के प्रमाणपत्र तो जाली मिले ही हैं, उत्तराखंड में बनाए स्थायी निवास और जाति प्रमाणपत्र भी शक के दायरे में हैं। ऐसा एक मामला टिहरी में प्रकाश में आने के बाद शिक्षा विभाग के कान खड़े हुए हैं। 

यह है मामला : एसआईटी ने टिहरी के कीर्तिनगर ब्लॉक के जीआईसी राडागाड़ में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत उपेंद्र सिंह की जांच की। जांच में उनके लखनऊ विवि के बीए, एमए की मार्कशीट व डिग्री जाली पाए गए। विभागीय जांच में दस्तावेज फर्जी होने की पुष्टि होने पर उपेंद्र के खिलाफ केस दर्ज कराया जा चुका है।

उन्हें अपना पक्ष रखने को वक्त देते हुए जुलाई में बुलाया गया था पर वह नहीं पहुंचे। इसके बाद जब विभाग के स्तर से उसके स्थायी निवास व ओबीसी प्रमाणपत्र पर दर्ज पते के अनुसार रुड़की के लिब्बरहेड़ी में पड़ताल की तो शिक्षा अधिकारी हैरान रह गए। प्रधान ने बताया कि उस नाम का कोई आदमी वहां रहता ही नहीं है। 

अपर निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने बताया कि इससे मामला और गंभीर हो गया है। उन्होंने रुड़की के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को शिक्षक का ब्योरा भेजते हुए जांच कराने की सिफारिश की है। साथ ही सभी सीईओ को निर्देश दिए हैं कि एसआईटी जांच के दायरे में आने वाले सभी शिक्षकों के शैक्षिक के साथ राज्य स्तर से जारी प्रमाणपत्रों की भी गहन जांच की जाए।


यह एक गंभीर विषय है। यदि शिक्षक संबंधित गांव का नहीं है तो उसके निवास और जाति प्रमाणपत्र वहां से कैसे बनाए जा सकते हैं ? यह भी एक रैकेट हो सकता है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को पूरा ब्योरा भेजकर जांच की संस्तुति की गई है।
महावीर सिंह बिष्ट, अपर निदेशक, गढ़वाल 
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