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बोर्ड परीक्षा: सरकारी स्कूलों पर लापरवाह सरकार और शिक्षक भी गुनहगार

उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में इस बार भी विद्या भारती के स्कूलों का ही डंका बज रहा है। हाईस्कूल के 21 टॉप-10 मेधावियों में 18  और इंटर मीडिएट के 12 टॉप-10 मेधावियों...

बोर्ड परीक्षा: सरकारी स्कूलों पर लापरवाह सरकार और शिक्षक भी गुनहगार
लाइव हिन्दुस्तान, देहरादून। चंद्रशेखर बुड़ाकोटीFri, 31 May 2019 12:03 PM
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उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में इस बार भी विद्या भारती के स्कूलों का ही डंका बज रहा है। हाईस्कूल के 21 टॉप-10 मेधावियों में 18  और इंटर मीडिएट के 12 टॉप-10 मेधावियों में सात विद्या मंदिरों के हैं। सरकारी स्कूल इस बार भी पिछड़ गए हैं। लेकिन, सरकारी स्कूलों की इस हालत के के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारें जिम्मेदार हैं। पिछले कई साल से राज्य की सरकारें न तो स्कूलों को पर्याप्त शिक्षक ही दे पाए हैं। सैकड़ों स्कूलों में हेडमास्टर और प्रिंसीपल तक नहीं है।

 

1.लापरवाह सरकार:
राज्य में इस वक्त सरकारी माध्यमिक स्कूलों में की संख्या 2200 के करीब है। इनमें पिछले कई साल से तीन हजार 89 पद एलटी के और चार हजार 509 पद प्रवक्ता के खाली हैं। शिक्षकों की स्थायी भर्ती के बजाए सरकार अतिथि शिक्षकों पर फोकस रहा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जाकर यह व्यवस्था खत्म हुई। इसी प्रकार करीब एक हजार पद हेडमास्टर और प्रिंसीपल के भी लंबे समय से खाली हैं। कामचलाऊ व्यवस्था से स्कूलों को चलाया जा रहा है।

2. शिक्षक भी गुनहगार:
सरकारी स्कूलों की इस दशा के लिए शिक्षक भी कम गुनहगार नहीँ। सरकारी स्कूलों में आए दिन होने वाले विरोध-आंदोलनों में शिक्षकों का फोकस केवत लबादला,प्रमोशन, वेतन विसंगति, छुट्टियों पर ही रहता है। पिछले पांच साल में एक बार भी कोई शिक्षक आंदोलन ऐसा नहीं हुआ, जिसमें शिक्षकों ने शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए आवाज उठाई हो। कभी ऐसा आंदोलन नहीं हुआ जिसमें सरकार पर शिक्षक के रिक्त पद भरने क मांग की गई हो। 

 

 

विद्या भारती का संकल्प है उत्तम, संस्कार और गुणवत्तापरक शिक्षा देना है। इसके लिए विद्या भारत का एक-एक सदस्य पूरे प्राणप्रण से मेहनत करता है। और यह मेहनत हर साल बोर्ड के रिजल्ट में नजर आती है।
डॉ. विजयपाल, प्रदेश निरीक्षक-विद्या भारती

 

हमारे स्कूलों के छात्र भी मेरिट में है। संख्या कम है, उसके कुछ कारण हैं। सरकार को शिक्षकों की कमी और प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों को जल्द भरना होगा। शिक्षा के स्तर में कमी की एक वजह यह भी है।
उॉ. सोहन सिंह माजिला प्रदेश महामंत्री-राजकीय शिक्षक संघ

 

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