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आंदोलन की तैयारियों में जुटे कर्मचारी

उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए जनरल ओबीसी और एससी-एसटी कर्मचारी संगठन आने वाले कुछ दिनों में बड़े आंदोलन करने जा रहे हैं। दोनों संगठन आंदोलनों की तैयारी में...

आंदोलन की तैयारियों में जुटे कर्मचारी
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनTue, 18 Feb 2020 06:27 PM
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उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए जनरल ओबीसी और एससी-एसटी कर्मचारी संगठन आने वाले कुछ दिनों में बड़े आंदोलन करने जा रहे हैं। दोनों संगठन आंदोलनों की तैयारी में जोर-शोर से जुटे हुए हैं।  इन संगठनों के पदाधिकारी अपने अपने प्रदर्शनों के जरिए राज्य सरकार को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं ताकि अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाया जा सके। उत्तराखंड में प्रमोशन रुके होने से जनरल-ओबीसी कर्मचारियों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। उधर एससी-एसटी कर्मचारी भी इस मामले के साथ ही रोस्टर विवाद को लेकर भड़के हुए हैं। इस बीच प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रमोशन में आरक्षण और प्रमोशन खोलने को लेकर पसोपेश की स्थिति में है।


जनरल-ओबीसी
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन की 20 फरवरी को देहरादून में महारैली है जो कि परेड ग्राउंड से मुख्यमंत्री आवास तक जाएगी। इसमें कर्मचारी और उनके परिवार शामिल होंगे। सोमवार को एसोसिएशन की ओर से इसकी तैयारियों को लेकर बैठक की गई। प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने बताया कि 20 की रैली ऐतिहासिक होगी। सरकार को पता चल जाएगा कि जनरल ओबीसी की ताकत क्या है। इस दौरान केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। प्रांतीय महामंत्री वीरेंद्र गुसाईं ने बताया कि 20 तारीख को अगर पदोन्नतियां खोलने और आरक्षण खत्म करने का आश्वासन नहीं मिलता है तो इसी दिन प्रदेशभर में अनिश्चतकालीन हड़ताल की घोषणा भी कर दिया जाएगी।  इस रैली के माध्यम से सीधी भर्ती के रोस्टर में छेड़छाड़ ना करने की भी चेतावनी राज्य सरकार को दी जाएगी।

एससी-एसटी
उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन की ओर से 23 फरवरी को प्रदेशभर में पदोन्नतियों में आरक्षण की मांग को प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा मार्च के पहले सप्ताह में दून में राष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है। फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम ने बताया कि जिलों में प्रदर्शन कर राज्य सरकार से पदोन्नति में आरक्षण तत्काल लागू करने और सीधी भर्ती के रोस्टर में बदलाव करने की मांग की जाएगी। जबकि राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्र सरकार से पदोन्नति में आरक्षण खोलने की मांग की जाएगी। करम राम के अनुसार, राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के एससी-एसटी कर्मचारी संगठन और  प्रबुद्ध लोगों सहित बड़ी संख्या में एससी-एसटी समाज के लोग पहुंचेंगे। इससे राज्य और केंद्र सरकारों को हमारी ताकत का पता चलेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि जो गलती राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाकर कर चुकी है, उसे केंद्र सरकार सुधारेगी। पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था खत्म नहीं की जाएगी। अगर ऐसा होता है तो इसका देशभर में भारी विरोध होगा।


बीस एससी-एसटी सदस्यों का संघ से निष्कासन तय
उत्तराखंड सचिवालय संघ के 20 एससी-एसटी सदस्यों का निष्कासन लगभग तय हो गया है। सोमवार को संघ कार्यकारिणी की बैठक में इन सदस्यों के निष्कासन पर सहमति बन गई। जल्द ही इसका प्रस्ताव आमसभा में आएगा।
संघ अध्यक्ष दीपक जोशी ने बताया कि 20 एससी-एसटी सदस्यों को संघ से अलग संगठन बनाने पर नोटिस दिया गया। नोटिस का संतोषजनक जवाब न मिलने पर उन पर कार्रवाई को सोमवार को प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई। बैठक में सवसम्मति से निर्णय हुआ कि संघ के खिलाफ जाने वाले सदस्यों का निष्कासन होना चाहिए। संघ के महामंत्री राकेश जोशी ने बताया कि निष्कासन के लिए प्रस्ताव आमसभा में लाया जाएगा। 

मान्यता नहीं
उत्तराखंड सचिवालय संघ के एससी-एसटी सदस्यों की ओर से गठित उत्तराखंड सचिवालय एससी-एसटी कार्मिक संघ को मान्यता नहीं मिली है। सचिवालय प्रशासन ने नए संगठन को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। अपर सचिव प्रताप शाह की ओर से मान्यता न दिए जाने के आदेश किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सेवा संघों को मान्यता  नियमावली के तहत नए गठित संघ को मान्यता दिया जाना नियम विरुद्ध है। ऐसे में इस संघ को मान्यता नहीं दी जा सकती। 

धारा 15 में पदाधिकारी और कार्यकारिणी सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने का प्राविधान है, न कि आम सदस्य की। ऐसे में संघ पदाधिकारी हमें कैसे निष्कासित कर सकते हैं
चंद्र बहादुर, उपाध्यक्ष उत्तराखंड एससी-एसटी कार्मिक संघ 


 

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