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विरोध: वेतन कटौती से नाराज कर्मचारी संगठन हुए मुखर, आंदोलन की चेतावनदी दी

उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन हर महीने कर्मचारियों के वेतन में से एक दिन की कटौती के सरकार के फैसले के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है। संगठन ने पहले महंगाई भत्ता डेढ़ वर्ष तक के लिए स्थगित...

विरोध: वेतन कटौती से नाराज कर्मचारी संगठन हुए मुखर, आंदोलन की चेतावनदी दी
हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनSat, 06 Jun 2020 03:45 PM
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उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन हर महीने कर्मचारियों के वेतन में से एक दिन की कटौती के सरकार के फैसले के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है।

संगठन ने पहले महंगाई भत्ता डेढ़ वर्ष तक के लिए स्थगित करने और उसके बाद वेतन कटौती के फैसले को कर्मचारी विरोधी करार दिया। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि कर्मचारी विरोध फैसले जल्द वापस न हुए, तो बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।

उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन की शुक्रवार को दून की यमुना कॉलोनी स्थित लोक निर्माण भवन में बैठक हुई। देहरादून के अलावा अन्य जिलों से पदाधिकारी ऑनलाइन माध्यम से बैठक से जुड़े।

बैठक में अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार ने कहा कि सरकार ने महंगाई भत्ते में वृद्धि डेढ़ साल तक को स्थगित कर दी है। इससे कर्मचारियों को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट ने कहा कि खासतौर पर जल्द रिटायर होने वाले कर्मचारियों की पेंशन पर इसका असर पड़ेगा। 

मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील दत्त कोठारी ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे अधिक सक्रिय भूमिका सरकारी कर्मचारियों की ही है। ऐसे में पहले डीए और अब वेतन कटौती के निर्णय से कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित हुआ है। 

बैठक में निर्णय लिया गया कि सीएम, मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव कार्मिक से मिलकर इस कटौती के खिलाफ कर्मचारियों का पक्ष रखा जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि यदि कटौती को वापस लेने की मांग पर सकारात्मक फैसला नहीं हुआ तो आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।

बैठक में बनवारी सिंह रावत, अनंतराम शर्मा, संदीप मौर्य, सुभाष देवलियाल, विजय सती, जीएस कपरुवाण मौजूद रहे। संरक्षक मनोहर मिश्रा, नवेंदु मठपाल, रमेश चंद्र जोशी, आशुतोष सेमवाल, कन्हैया प्रसाद सेमवाल, गोपाल सिंह राणा, कृष्णचंद्र शर्मा, ललित मोहन जोशी, संजय वत्स, आरएस ऐरी, सोहन सिंह रावत, संजय नेगी, रेवती नंदन डंगवाल, बद्रीप्रसाद सकलानी, धीरेंद्र पाठक, दिगंबर फुलेरिया, रमेश जोशी, वीरेंद्र, वीरेंद्र चमोली, एचसी पोखरिया ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए।


अन्य मांगें
1. अटल आयुष्मान योजना के गोल्डन कार्ड जल्द बनें
2. प्रमोशन में शिथिलता का लाभ पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल हो
3. एसीपी की पुरानी व्यवस्था को ही लागू किया जाए
4. कोरोना की रोकथाम में लगे कर्मचारी और शिक्षकों का 50 लाख का बीमा कराया जाए
5. राजकीय वाहन चालकों को 2400 ग्रेड वेतनमान की जगह 4800 ग्रेड-पे का लाभ मिले
6. चिकित्सा कर्मचारियों को केंद्र के समान जोखिम भत्ता
7.    चतुर्थश्रेणी कर्मियों को प्रमोशन में स्टाफिंग पैटर्न का लाभ
8. सभी विभागों में खाली पदों पर तत्काल पदोन्नति
9. 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिला कर्मचारियों को अनिवार्य तबादले में छूट
10. निदेशालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में प्रशासनिक निदेशालय का पद सृजित कर 6600 ग्रेड-पे का लाभ
11. एलटी कैडर के शिक्षकों की वरिष्ठता राज्य स्तर पर तय हो


बढ़ती बेरोजगारी व महंगाई के दौर में वेतन कटौती का सरकार का फैसला मानवीय नहीं है। क्या इस डबल इंजन की सरकार के पास इतने भी संसाधन नहीं हैं कि वो कोरोना से लड़ाई लड़ सके ?

सरकार का आपदा प्रबंधन इतना कमजोर है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों तक के वेतन काटे जा रहे हैं। एक ओर सरकार दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासियों को स्वरोजगार से जोड़ने की योजनाएं बना रही है।

वहीं अक्सर सुनने में आता है कि आउटसोर्स कर्मियों की सेवाएं समाप्त की जा रही हैं। बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई के दौर में वेतन कटौती और नौकरी से हटाने का सरकार का फैसला मानवीय नहीं है। सरकार को अपना यह फैसला तत्काल वापस लेना चाहिए।
डॉ. इंदिरा हृदयेश, नेता प्रतिपक्ष
 
 

कोरोना से पूरी मानवता जूझ रही है। मंत्री, सांसद, विधायकों व केंद्रीय कर्मचारियों ने वेतन-भत्तों की आहूति दी है। कोरोना से खिलाफ जारी इस यज्ञ में कर्मचारियों से केवल एक दिन का वेतन लिया गया है।

दूसरे कई राज्यों में तो शत-प्रतिशत भत्ते काट लिए हैं। कटौती का यह फैसला मानवता के हित में है। इस सहयोग से ही कोरोना के खिलाफ संसाधनों को मजबूत किया जा सकता है।

जब-जब देश पर विपत्ति आई है, तब-तब उत्तराखंड के जांबाज सैनिक, शिक्षक-कर्मचारी देश की सीमाओं और भीतरी मोर्चों पर सीना ताने नजर आए हैं। कोरोना
के खिलाफ लड़ाई में भी सब एक साथ हैं। कांग्रेस को इस मुद्दे पर सियासत करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
मदन कौशिक, प्रवक्ता, उत्तराखंड सरकार
 
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