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गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन पर उद्योग लगेंगे

गोल्डन फॉरेस्ट की राज्य सरकार में निहित 486  हेक्टेयर जमीन पर गरीबों के लिए आवास बनाने के साथ ही अब उद्योग लगेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के हरी झंडी के बाद राजस्व विभाग ने इसके आदेश कर दिए...

गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन पर उद्योग लगेंगे
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनThu, 17 Oct 2019 05:06 PM
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गोल्डन फॉरेस्ट की राज्य सरकार में निहित 486  हेक्टेयर जमीन पर गरीबों के लिए आवास बनाने के साथ ही अब उद्योग लगेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के हरी झंडी के बाद राजस्व विभाग ने इसके आदेश कर दिए हैं। यह जमीन विभिन्न विभागों को आवंटित कर दी गई है। 90 के दशक गोल्डन फॉरेस्ट ग्रुप में दून के सदर और विकासनगर तहसील में जमीनों को खुर्द-बुर्द कर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया था। ग्रुप ने औने-पौने दामों में इसमें से सैकड़ों हेक्टेयर जमीन बेच भी ली थी, जिस पर अब आबादी बस चुकी है। इसके लिए काफी ऐसी जमीन है जो अभी खाली है। सरकार इसे निहित कर चुकी है। राज्य सरकार ने एडीएम(प्रशासन) की अक्तूबर, 2019 की रिपोर्ट के आधार पर ऐसी खाली जमीनों को सरकार में निहित करते हुए विभागों को आवंटित भी कर दिया है। प्रभारी सचिव सुशील कुमार की तरफ से यह आदेश किए गए। चूंकि दो दशक से ज्यादा समय से जमीन विवादों में रही, लेकिन सरकार इस पर कोई फैसला नहीं ले पा रही थी। अब त्रिवेंद्र सरकार ने बड़ा और कड़ा  फैसला लेते हुए इस जमीन को सिंचाई, औद्योगिक विकास, आवास और राजकीय कार्यालय को आवंटित कर दिया है। 

 

इन विभागों को आवंटित की जमीन
सिंचाई :
    शीशमबाड़ा, शेरपुर, फतेहपुर, मिर्जापुर उर्फ एवं मंडी गंगभेवा (कुल 29.789 हेक्टेयर)
औद्योगिक विकास :     बैरागीवाला, जस्सोवाला, लाखनवाला, ढकरानी, तिमली मानसिंह एवं भैंसवाड़ा (कुल 49.706 हेक्टेयर)
आवास विभाग :     ईस्ट होप टाउन, सेंट्रल होप टाउन, रामपुर कलां, सुद्दोवाला, चालंग, गुजराडा मान सिंह (कुल 22.519 हेक्टेयर)
राजकीय कार्यालय :     आमवाला तरला, आमवाला उपरला, चक डांडा लखौंड, डांडा लखौंड मयचक (कुल9.6851 हेक्टेयर)
ग्रामसभा विकास :     ग्राम सभाओं के सुनियोजित विकास व सामुदायिक सुविधाओं के लिए जमींदारी भूमि विनाश अधिनियम की धारा 117 के तहत ग्राम सभाओं में निहित (कुल 342.688 हेक्टेयर)

गरीबों के लिए आवास भी बनेंगे
उत्तराखंड में बड़ी संख्या में भूमिहीन लोग भी हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इन्हें आवास उपलब्ध कराए जाने हैं। प्रदेश में लगभग 38,000 आवासों का निर्माण किया जाना है। राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि गोल्डन फॉरेस्ट ग्रुप की निहित जमीनों में गरीबों के लिए आवास भी बनाए जाएंगे। 

पुनर्वास के भी उपयोग में लाई जाएगी जमीन
सरकार का मानना है कि प्रदेश में विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाएं प्रस्तावित हैं। इन योजनाओं को बनाने से बड़ी संख्या में लोगों को भी पुनर्वास किया जाना है। इसके साथ ही सौंग, जमरानी बांध और पंचेश्वर बांध परियोजना का भी निर्माण किया जा रहा है। इसके मद्देनजर इनके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को विस्थापित किया जाना है। इन लोगों के सांस्कृतिक रीति-रिवाज आदि प्रभावित न हों, इसके लिए इन्हें एक साथ अधिक संख्या में इन जमीनों पर बसाया जाएगा। 

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