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वन भूमि अवैध मजारों पर अतिक्रमण हटाने के बाद अब सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार का यहां होगा बुलडोजर ऐक्शन, बना धासूं प्लान

उत्तराखंड में वन भूमि पर अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान के बाद धामी सरकार जलस्रोत, झील, तालाब, जोहड़ को कब्जा मुक्त करने की मुहिम शुरू करने जा रही है। सरकार की ओर से सख्त प्लान बनाया गया है।

वन भूमि अवैध मजारों पर अतिक्रमण हटाने के बाद अब सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार का यहां होगा बुलडोजर ऐक्शन, बना धासूं प्लान
Himanshu Kumar Lallदेहरादून, चंद्रशेखर बुड़ाकोटीSun, 14 May 2023 02:59 PM
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उत्तराखंड में वन भूमि पर अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान के बाद धामी सरकार जलस्रोत, झील, तालाब, जोहड़ को कब्जा मुक्त करने की मुहिम शुरू करने जा रही है। उत्तराखंड प्रदेश के सभी डीएम को अवैध कब्जाग्रस्त जलस्रोतों को चिह्नित करने के आदेश दे दिए गए हैं। दो महीने के भीतर इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।

इसके अगले छह महीने के भीतर ऐसे मामलों की सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ सुनवाई करते हुए अवैध कब्जों के हटवाना होगा। अपर सचिव डॉ. आनंद श्रीवास्तव ने सभी डीएम को इस बाबत आदेश जारी किए हैं। अवैध कब्जों को हटाने के लिए 10 सूत्रीय गाइड लाइन भी जारी की गई है। इसमें कार्रवाई का टाइम टेबल और अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय की गईं हैं।

अपर सचिव के अनुसार यदि चिह्निकरण में किसी अवैध कब्जे वाली भूमि दर्ज नहीं होती तो इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी। उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। सूत्रों के अनुसार देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर में ऐसे मामले ज्यादा हैं जहां तालाब और जोहड़ों पर कब्जे हुए हैं। बाकी जिलों में नदियों के किनारे और जल स्रोतों के ईदर्गिर्द निर्माण की शिकायतें मिलती रहीं हैं।

यूं होगी कार्रवाई
-प्रत्येक जिले में तहसीलदार, अपर मुख्य नगर अधिकारी, नगर निगम के अधिशासी अधिकारी नगर पालिका-नगर पंचायत के अधिकारी और बीडीओ जल स्रोतों पर हुए कब्जों को चिह्नित करेंगे। दो महीने के भीतर इसकी विस्तृत रिपोर्ट डीएम को दी जाएगी।
-चिह्नीकरण के बाद अवैध कब्जाधारियों को नोटिस जारी किए जाएंगे। उन्हें अपना पक्ष रखने का पर्याप्त समय दिया जाएगा।  अधिकतम छह महीने के भीतर उन्हें अवैध कब्जों के मामलों में कार्रवाई करनी होगी। नियमित रूप से डीएम को इसकी रिपोर्ट दी जाएगी।
-अवैध कब्जों के मामले में अदालत में जाने पर उनकी प्रभावी पैरवी करने की डीएम की जिम्मेदारी होगी। एक बार अतिक्रमण हटने के बाद भी दोबारा कब्जा होने पर डीएम जांच करेंगे और दोषी कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

हाईकोर्ट भी दे चुका है आदेश
जल स्रोतों पर अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट भी सरकार को कार्रवाई के आदेश दे चुका है। एक जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने तीन दिसंबर 2018 को सरकार को निकाय क्षेत्रों की जल स्रोतों की जमीनों से अवैध कब्जे हटाने के लिए ठोस नीति बनाने को कहा था। पिछले सवा चार साल से सरकार नीति पर मंथन कर रही थी। सभी जिलों से रिपेार्ट मिलने के बाद सरकार ने गाइड लाइन तय करते हुए कार्रवाई के आदेश दिए।

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