यह तो हद हाे गई! फास्टैग के धोखे से रोडेवज को लगी लाखों की चपट
उत्तराखंड रोडवेज की बसों में लगे फास्टैग ने मंगलवार को धोखा दे दिया। टोल प्लाजा पर जब बसें पहुंचीं तो टैग से टोल टैक्स का भुगतान नहीं हो पाया। ऐसे में कंडक्टरों को मैनुअली दोगुना टैक्स भरना पड़ा,...
इस खबर को सुनें
उत्तराखंड रोडवेज की बसों में लगे फास्टैग ने मंगलवार को धोखा दे दिया। टोल प्लाजा पर जब बसें पहुंचीं तो टैग से टोल टैक्स का भुगतान नहीं हो पाया। ऐसे में कंडक्टरों को मैनुअली दोगुना टैक्स भरना पड़ा, जिससे रोडवेज को लाखों रुपये की चपत लगी। इससे पहले भी कई बार यह समस्या आ चुकी है। इसके बावजूद रोडवेज प्रबंधन इसमें सुधार नहीं कर रहा है। इससे कर्मचारी यूनियनें खफा हैं।
देहरादून से दिल्ली रूट पर तीन और देहरादून-हरिद्वार रूट पर एक टोल प्लाजा है। इसके अलावा हल्द्वानी-दिल्ली, रुद्रपुर से टनकपुर और दून-चंडीगढ़ रूट पर भी टोल प्लाजा हैं। यहां टोल टैक्स का भुगतान फास्टैग से होता है। फास्टैग से भुगतान नहीं होने पर फाइन देना पड़ता है। यह फाइन टोल टैक्स के बराबर होता है।
रोडवेज की सभी बसों में फास्टैग लगे हैं, लेकिन मंगलवार को फास्टैग ने धोखा दे दिया। जब रोडवेज बसें टोल प्लाजा पर पहुंचीं तो फास्टैग से भुगतान नहीं हुआ। बसों के कंडक्टरों को मैनुअली दोगुना टैक्स जमा करना पड़ा। इस वजह से रोडवेज यात्रियों को भी परेशानी झेलनी पड़ी। क्योंकि, टैक्स जमा करने के लिए बसें काफी देर तक प्लाजा खड़ी रहीं।
यूनियन बोली-बैंक खातों को दुरुस्त रखे प्रबंधन
उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि यह समस्या पहले भी आ चुकी है। रोडवेज के बैंक खाते में बैलेंस नहीं होने से भुगतान नहीं हो पाता है। प्रबंधन डीजल की खरीद भी निजी पंपों से करता है, जो साढ़े तीन रुपये महंगा पड़ता है। इससे रोडवेज को हर माह लाखों की चपत लग रही है। खात दुरुस्त रखे जाने चाहिए।
रोजाना करीब सात लाख रुपये टोल जाता है। टोल टैक्स का भुगतान एक निजी कंपनी के ऐप के माध्यम से होता है। इस कंपनी ने ऐप को अपडेट किया है, जिस कारण भुगतान में दिक्कत आई है। फाइन के रूप में हमने जो टैक्स जमा किया है, उसका भुगतान कंपनी करेगी। यदि कंपनी नहीं करती है तो कानूनी सलाह लेकर कार्रवाई की जाएगी।
दीपक जैन, महाप्रबंधक (संचालन), रोडवेज