सावधान! कुमाऊं यूनिवर्सिटी के नाम से फिर बनी फर्जी वेबसाइट, छात्रों को यह होगा नुकसान
किसी में कुलपति के तो किसी में कुलपति की जगह कुलसचिव के हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अलावा भी अन्य अनियमितताएं सामने आने पर डिग्री फर्जी होने की पुष्टि हुई है। प्रशासन ने जांच बिठाई है।
कुमाऊं विवि के नाम पर एक बार फिर फर्जी डिग्री बनाने का मामला सामने आया है। विवि को सत्यापन के लिए मिली डिग्री में खामियां पाए जाने पर मामला पकड़ में आया है। मामले में कार्रवाई को कमेटी गठित करने का निर्णय लिया गया है। करीब पांच साल पहले भी बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियां बनाई गई थी।
दरअसल सत्यापन के लिए डब्ल्यूईएस एजेंसी की ओर से डिग्रियां कुमाऊं विवि को भेजी जाती हैं। पिछले दिनों प्राप्त करीब दर्जन भर डिग्रियां ऐसी मिली हैं। जिनके फर्जी होने की पुष्टि हो चुकी है। विवि को सत्यापन के लिए भेजी गई डिग्रियां अपूर्ण होने पर मामला पकड़ में आया है।
किसी में कुलपति के तो किसी में कुलपति की जगह कुलसचिव के हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अलावा भी अन्य अनियमितताएं सामने आने पर डिग्री फर्जी होने की पुष्टि हुई है। ऐसे में विवि प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच को कमेटी गठित करने की तैयारी की कर ली है।
सौ से अधिक फर्जी डिग्रियां मिली थीं करीब पांच वर्ष पहले भी कुमाऊं विवि के नाम पर फर्जी डिग्रियां बनाई गई थी। सत्यापन के दौरान विवि की पकड़ में आने पर मामले में कार्रवाई भी की गई। इस दौरान विवि प्रशासन की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया। संबंधित डिग्रियां विदेश में नौकरी समेत अन्य रोजगार को उपयोग में लाई जा रही थीं। मगर विवि ने सत्यापन के दौरान उन्हें फर्जी घोषित किया।
खुलासा बेहद चुनौतीपूर्ण
फर्जी डिग्री के मामले में यदि सख्ती से कार्रवाई भी की जाती है, तो मामले का खुलासा बेहद चुनौतिपूर्ण साबित हो सकता है। डिग्री में विवि के नाम का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा इसमें नामांकन संख्या, अनुक्रमांक, विषय और संबंधित छात्र का नाम अंकित होता है।
छात्र का पता समेत अन्य ऐसी कोई भी जानकारी नहीं होती, जिससे यह पता लगाया जा सके कि उक्त डिग्री किसकी है और कहां से बनी है। हालांकि एजेंसी के माध्यम से पड़ताल अवश्य हो सकती है।
कुमाऊं विवि के नाम का प्रयोग कर फर्जी डिग्री बनाने का मामला संज्ञान में आया है। प्रकरण में विभागीय कार्रवाई के साथ ही एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी। जिससे विवि की छवि को धूमिल होने से बचाया जा सके।
प्रो. डीएस रावत, कुलपति कुविवि नैनीताल।
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