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उत्तराखंड में नई शिक्षा नीति के लिए जल्द बनेगा टास्क फोर्स, पढ़ें पूरी खबर

शिक्षा व्यवस्था में सुधार और एकरूपता लाने के लिए सरकारी-प्राइवेट स्कूलों में समान पाठ्यक्रम व फीस ऐक्ट लाने की जरूरत है। मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के साथ वर्चुअल...

उत्तराखंड में नई शिक्षा नीति के लिए जल्द बनेगा टास्क फोर्स, पढ़ें पूरी खबर
हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनWed, 12 Aug 2020 12:48 PM
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शिक्षा व्यवस्था में सुधार और एकरूपता लाने के लिए सरकारी-प्राइवेट स्कूलों में समान पाठ्यक्रम व फीस ऐक्ट लाने की जरूरत है। मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के साथ वर्चुअल मंथन में अधिकारियों ने खुलकर इसकी पैरवी की। मंथन के बाद शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा नीति का खाका बनाने के लिए टास्क फोर्स बनाई जाएगी।

राजीव नवोदय स्कूल स्थित सेंट्रल स्टूडियो में सुबह 11 बजे शुरू मंथन डेढ़ बजे तक चला। इस दौरान अपर निदेशक, सीईओ, डीईओ व डायट प्राचार्यों ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि खासकर बेसिक स्तर पर सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में मातृभाषा में एक समान पढ़ाई होनी चाहिए। 

शिक्षा नीति में प्री-प्राइमरी की व्यवस्था को क्रांतिकारी फैसला बताते हुए अफसरों ने प्री-प्राइमरी में भी बाल मनौविज्ञान में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की पैरवी की। साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षकों के अनिवार्य तबादले वाली व्यवस्था खत्म कर सिर्फ अनुरोध के आधार पर तबादले किए जाने चाहिए। 

संवाद के अंत में शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लागू करने से पहले सरकार राज्य के सामाजिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन करेगी। आज मिले सुझावों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

इनके आधार पर राज्य के अनुसार संशोधन करते हुए नीति लागू की जाएगी। इसका खाका तैयार करने को शिक्षा अधिकारी व गैरसकारी विशेषज्ञों की राज्यस्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया जा रहा है। 
 

इस दौरान निदेशक-एआरटी सीमा जौनसारी, एपीडी समग्र शिक्षा अभियान डॉ. मुकुल सती, जेडी एससीईआरटी कुलदीप गैरोला,एडी रामकृष्ण उनियाल, एडी वीएस रावत,अजय नौडियाल, शशि चौधरी, जेडी बीएस नेगी मौजूद रहे।


मंथन में अफसरों ने दिए अहम सुझाव

1 महावीर सिंह बिष्ट, एडी-गढ़वाल
स्कूलों के स्पष्ट नाम तय हों। आंगनबाड़ी केंद्र स्कूलों में रहे। छात्रों के शैक्षिक विकास के लिए शिक्षक के साथ ही अभिभावकों की भी जिम्मेदारी तय हो। व्यावसायिक शिक्षा नवीं के बजाए कक्षा छह से शुरू की जाए। केवल अनुरोध श्रेणी के तबादले और सभी कैडर में 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती और बाकी प्रमोशन से भरे जाएं।


2 एसपी खाली, निदेशक संस्कृत निदेशालय
संस्कृत को सामान्य विषयों के समान पूर्ण सम्मान दिया जाए। संस्कृत विद्यालयों के लिए ठोस नीति बने। आंगनबाड़़ी स्तर से संस्कृत के पठन-पाठन पर फोकस किया जाए। खाली ने संबोधन भी संस्कृत में ही दिया। यह देखकर एक बार को सभी हैरान हो गए।


3 पदमेंद्र सकलानी, डीईओ-बेसिक, बागेश्वर
स्कूल कॉम्पलेक्स का फार्मूला अच्छा है लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में स्कूल कॉम्पलेक्स के लिए ढाई किलोमीटर का मानक कम किया जाए। प्री प्राइमरी के लिए आंगनबाड़ी पर भी दारोमदार नहीं छोड़ा जा सकता। वहां भी ट्रेंड शिक्षक नियुक्त किए जाएं।


4 अशोक जुकारिया, सीईओ-पिथौरागढ़
प्रदेश के सभी स्कूलों में शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था रखनी होगी। शिक्षकों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ता है। आमतौर पर परीक्षाकाल में शिक्षक सीसीएल ले लेते हैं। इससे शिक्षकों की कमी हो जाती है।


5 हर्षबहादुर चंद, सीईओ-अल्मोड़ा
एनसीसी को नवीं कक्षा से अनिवार्य रूप से लागू किया जाए। आपदा प्रबंधन और सैन्य विज्ञान की पढ़ाई को अनिवार्य करना होगा। छमाही परीक्षाएं खत्म की जाएं लेकिन बोर्ड परीक्षाओं का सरलीकरण ठीक नहीं है।

इन्होंने भी दिए सुझाव
एडी रघुनाथ लाल आर्य, सीईओ आशारानी पैन्यूली, ललित मोहन चमोला, डॉ. आनंद भारद्वाज, केके गुप्ता, आरसी पुरोहित, चित्रानंद काला, रमेश चंद्र आर्य, एसपी सेमवाल, विनोद सेमल्टी। 

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