साल गुजरने वाला है, उत्तराखंड के छात्रों को किताबें कब मिलेंगी ?
मौजूदा शैक्षिक सत्र में छात्रों तक मुफ्त किताबें पहुंचाने का सरकार का फैसला फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहा है। दो महीने पहले कैबिनेट से डीबीटी के जरिये धन देने की बजाय किताबें देने का फैसला हो चुका...
मौजूदा शैक्षिक सत्र में छात्रों तक मुफ्त किताबें पहुंचाने का सरकार का फैसला फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहा है। दो महीने पहले कैबिनेट से डीबीटी के जरिये धन देने की बजाय किताबें देने का फैसला हो चुका है। मगर, इस आदेश को लागू करने के लिए न तो सरकार स्तर पर हलचल दिख रही है और शिक्षा विभाग भी खामोश बैठा है।
अब सवाल यह है कि वर्तमान सत्र का आधे से ज्यादा वक्त बीत चुका है, छात्रों को किताबें मिलेंगी तो मिलेंगी कब ? कोरोना महामारी की वजह से मार्च से उत्तराखंड में सभी शैक्षिक संस्थान बंद हैं। दो नवंबर से स्कूल खुलने तो जा रहे हैं, लेकिन केवल 10वीं और 12वीं के छात्रों को आने की अनुमति होगी।
स्कूल बंदी की वजह से पढ़ाई प्रभावित होते देख सरकार ने अगस्त में निर्णय लिया था कि इस साल सरकार छात्रों को खुद किताबें मुहैया कराएगी। दूरदराज के क्षेत्रों में ऑनलाइन पढ़ाई का ज्यादा असर न देखकर यह निर्णय लिया गया था। छात्रों को किताबें खरीदने के लिए बाजारों में भटकने से बचाना भी इस फैसले के पीछे वजह रही।
कैबिनेट फैसले के बाद तीन सितंबर को शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम भी आदेश कर चुके हैं कि इस साल किताबों के लिए डीबीटी से धन नहीं दिया जाएगा। उधर, शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने बताया, निदेशालय
ने बजट का प्रस्ताव भेज दिया है।
अपना ही फॉर्मूला लागू नहीं करवा पा रहे मंत्री
देहरादून। छात्रों को घर बैठे किताबें मुहैया कराने का प्रस्ताव शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का था। उनका कहना था कि छात्रों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि वो घरों से बाहर न निकलें। शिक्षा विभाग और पंचायत प्रतिनिधियों की मदद से किताबें बंटवाने की योजना बनाई गई। लेकिन, अब तक किताबें खरीदने पर ही निर्णय न हो पाने से पूरी प्रक्रिया ही अटक गई है।
अब तक नहीं हो पाया कोई फैसला
मालूम हो कि पहली से 12वीं के लिए 79 विषयों की करीब 50 लाख से ज्यादा किताबों की जरूरत हर साल होती है। शिक्षा विभाग ने कुछ समय पहले जिलावार डिमांड का ब्योरा जुटाया था। इसके बाद सरकार से किताब खरीदने के लिए बजट और वितरण प्रक्रिया को दिशानिर्देश मांगे हैं। पर, अब तक कोई फैसला न हो पाया है।
मैं इस पूरे मामले को दिखवा रहा हूं। अब यह देखा जाएगा कि आखिर अड़चन किस स्तर पर आ रही है।
अरविंद पांडे, शिक्षा मंत्री