स्कूलों में टॉयलेट बनवाने में शिक्षा विभाग की नहीं दिलचस्पी,करोड़ों का बजट हुआ डंप, जानें जिलों का हाल
सरकारी स्कूलों में छात्रों को स्वच्छता-टायलेट की सुविधा देने लिए मिले बजट को खर्च करने में टिहरी जिला फिसड्डी साबित हुआ है। राज्य के 224 स्कूलों में टायलेट बनाने के लिए स्वजल से मिले 5.75 करोड़ रुपये...
सरकारी स्कूलों में छात्रों को स्वच्छता-टायलेट की सुविधा देने लिए मिले बजट को खर्च करने में टिहरी जिला फिसड्डी साबित हुआ है। राज्य के 224 स्कूलों में टायलेट बनाने के लिए स्वजल से मिले 5.75 करोड़ रुपये में शिक्षा विभाग 96 लाख रुपये खर्च ही नहीं कर पाया। खर्च की सुस्त रफ्तार में टिहरी जिला सबसे ऊपर है। जबकि उत्तरकाशी, नैनीताल, चमोली भी अब तक काफी बजट रोके हुए हैं। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षीसुंदरम ने सभी जिलों के सीईओ को बजट खर्च की धीमी गति पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि जलशक्ति मंत्रालय को 15 जनवरी तक पूरा ब्योरा देना है। सचिव ने सभी जिलों को 10 जनवरी तक धन के उपयोग और उसका उपयोगिता प्रमाणपत्र मुहैया कराने के आदेश दिए हैं। सचिव ने कहा कि जिस प्रकार बजट का पूरा उपयोग नहीं किया गया है वो अधिकारियों की घोर लापरवाही को जाहिर करता है। राज्य के स्कूलों में बालक और बालिकाओं के टॉयलेट बनाने के लिए स्वजल परियोजना के तहत शिक्षा विभाग का पौने छह करोड़ रुपये दिए गए हैं। मालूम हो कि राज्य में आज भी बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जिनमें टायलेट नहीं हैं। सरकार से निर्माण के लिए पूरा पैसा मिलने के बावजूद कई जिलों ने निर्माण पूरे नहीं कराए हैं।
जिला बचा हुआ बजट
टिहरी 44.78 लाख
उत्तरकाशी 12.48 लाख
नैनीताल 12.06 लाख
चमोली 11.88 लाख
अल्मोड़ा 9.00 लाख