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उत्तराखंड: कैग रिपोर्ट में खुलासा, अफसरों की ढिलाई से डूबे 478 करोड़

राज्य में बाड़ ही खेत को खा रही है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में एक बार फिर से खुलासा हुआ है कि सरकारी मशीनरी की लापरवाही ने राज्य के खजाने को 478 करोड़ रुपये की चोट...

उत्तराखंड: कैग रिपोर्ट में खुलासा, अफसरों की ढिलाई से डूबे 478 करोड़
देहरादून, वरिष्ठ संवाददाता Fri, 21 Sep 2018 03:34 AM
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राज्य में बाड़ ही खेत को खा रही है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में एक बार फिर से खुलासा हुआ है कि सरकारी मशीनरी की लापरवाही ने राज्य के खजाने को 478 करोड़ रुपये की चोट पहुंचा दी। अकेले आबकारी और पिटकुल के अफसरों की ढिलाई के कारण सरकार के 478 करोड़ डूब गए। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। कैग ने दोनों मामलों को अनियमितता मानते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं।

संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने गुरुवार को सदन में कैग की रिपोर्ट प्रस्तुत की। 31 मार्च 2017 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष की इस रिपोर्ट में कई विभागों द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताओं का ब्योरा दिया गया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आबकारी विभाग के तहत शराब फैक्ट्रियों ने पर्यावरणीय मानकों का घोर उल्लंघन किया। इस मामले में फैक्ट्रियों से 346 करोड़ की पैनाल्टी वसूली जानी थी। लेकिन विभाग के अफसरों ने यह राशि नहीं वसूली। जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ।

इसी तरह उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने अतिरिक्त प्रतिभूति एवं प्रारंभिक प्रतिभूति की वसूली नहीं की जिससे पिटकुल को 132 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ। कैग ने कहा कि यूपीसीएल के छह खंडों में 240 करोड़ की वितरण हानि सामने आई। यूपीसलए की सतर्कता इकाई ने 14 खंडों में मामूली उपभोक्ताओं की जांच की तो अतिरिक्त सरचार्ज के रूप में 58 करोड़ जबकि प्रारंभिक सरचार्ज के रूप में तकरीबन तीन करोड़ का बिलम्ब भुगतान अधिभार नहीं लेना पाया गया। इससे सरकार को कुल 132 करोड़ का नुकसान हुआ।

38 करोड़ बढ़ी परियोजना की लागत
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की परियोजना समय पर न बनने से 38 करोड़ का नुकसान हुआ। कैग ने कहा कि यूजेवीएनएल की एक परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा नहीं किया गया। इससे परियोजना की लागत में 38 करोड़ की वृद्धि हुई जबकि समय पर बिजली न मिलने से टैरिफ निर्धारण के दावे को भी कम करना पड़ा।

खनन विभाग को 69 लाख का नुकसान
खनन विभाग के अफसरों ने अवैध खनन एवं परिवहन के मामलों में गलत दर से अर्थदंड वसूल लिया जिससे विभाग को भारी राजस्व नुकसान हुआ। अफसरों ने खनन एवं परिवहन के गलत अर्थदंड की वजह से विभाग को 30 लाख का नुकसान पहुंचाया जबकि गलत रायल्टी दर की वजह से 39 लाख का नुकसान पहुंचाया गया।

वन विकास निगम को 18 लाख का नुकसान
वन विकास निगम ने कर्मचारियों के अनिवार्य 12 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि योगदान की क्षतिपूर्ति अपने बजट से कर दी। 18 लाख की यह राशि कर्मचारियों को वहन करनी थी। लेकिन निगम ने यह राशि अपने बजट से दी दी। कैग ने इस पर आपत्ति जताई है।

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