बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री करते हैं चमत्कार या अंधविश्वास? पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण की ये है राय
बागेश्वर धाम दरबार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ गुजारे लम्हों को लेकर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण भाव विभोर हो गए। बालकृष्ण ने सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक बताया है।

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बागेश्वर धाम दरबार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ गुजारे लम्हों को लेकर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण भाव विभोर हो गए। अपने फेसबुक अकाउंट पर आचार्य ने उनके साथ बिताए वक्त को खुशनुमा पल करार देते हुए अपनी भावनाओं को उकेरा है। आचार्य ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपना अनुज बोलते हुए सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक बताया है।
फेसबुक अकाउंट पर आचार्य ने लिखा है कि यूं भोलेपन से मुस्कुराना तुम्हारा, यह बताने के लिए पर्याप्त है कि तुम भोले और बेहद सहज हो। उनकी यही निश्छलता व सहजता उनका आभूषण है। उनकी तुलना महर्षि पतंजलि के कथन जन्मौषधिमन्त्रतप:समाधिजा: सिद्धय: के उदाहरण से करते हुए सनातन वैदिक धर्म का वटवृक्ष बताया।
लिखा कि अपने अनुज यानि धीरेंद्र शास्त्री के साथ गुजारे 23 घंटे में वह केवल देश के लिए चिंता करते हुए दिखाई दिए। समस्याओं का समाधान खोजते हुए युवा मस्तिष्क को, राष्ट्रवाद को लेकर धड़कते एक युवा हृदय को करीब से देखा। आचार्य ने लिखा कि उन्हें गर्व है कि धीरेंद्र शास्त्री जैसा छोटा भाई मिला, जो संवेदनशील होने के साथ दैवीय कृपाप्रसाद से युक्त है।
आचार्य ने आगे लिखा है कि उनके हृदय की गहराई से यही भाव निकलता है कि सदैव अविचलित व अडिग बनो। पुरुषार्थ आश्रम में धीरेंद्र शास्त्री का स्वागत: पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने शुक्रवार देर रात आचार्य बालकृष्ण के साथ अचानक भारतमाता पुरम में स्थित पुरुषार्थ आश्रम पहुंचे। जहां उन्होंने आश्रम के अध्यक्ष महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज से भेंट वार्ता कर सनातन धर्म से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।
निरंजन स्वामी महाराज ने आचार्य बालकृष्ण और पंडित धीरेंद्र शास्त्री महाराज का फूल माला पहनाकर एवं शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। इस दौरान निरंजन स्वामी ने कहा कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री सनातन धर्म की रीढ़ हैं, जो भारत सहित विदेशों में भी धर्म एवं संस्कृति की पताका को फहरा रहे हैं। जिससे सनातन विरोधी ताकतें उनके विरुद्ध खड़ी हो रही हैं। इस दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वह बहुत सौभाग्यशाली है, जो उन्हें हरिद्वार की पावन भूमि पर संतों का सानिध्य प्राप्त हुआ है।