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केंद्र की तर्ज पर राज्य में दी जाए ‘यू हेल्थ स्मार्ट कार्ड’ की सुविधा

अटल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले अस्पतालों को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) में करोड़ों रुपये का भुगतान करने के मामले में सीएमओ स्तर पर गठित कमेटी की भूमिका संदेह के दायरे में...

केंद्र की तर्ज पर राज्य में दी जाए ‘यू हेल्थ स्मार्ट कार्ड’ की सुविधा
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनWed, 12 Jun 2019 10:47 AM
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अटल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले अस्पतालों को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) में करोड़ों रुपये का भुगतान करने के मामले में सीएमओ स्तर पर गठित कमेटी की भूमिका संदेह के दायरे में आ गई है।  अटल आयुष्मान योजना में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद एमएसबीवाई के तहत किए गए 33 करोड़ रुपये के भुगतान पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस योजना में अक्तूबर 2017 से सितम्बर 2018 के बीच एक साल से भी कम की अवधि में यह भुगतान किया गया था। इस दौरान सीएमओ स्तर पर गठित कमेटियों ने अस्पतालों की ओर से आए तकरीबन सभी बिलों को पास कर दिया। महज दो प्रतिशत बिल ही रिजेक्ट किए गए। आयुष्मान योजना में सामने आ रहे फर्जीवाड़े को देखते हुए एमएसबीवाई में बिलों के रिजेक्शन की यह दर काफी कम बताई जा रही है। आयुष्मान योजना के तहत पकड़े गए अस्पतालों के 80 प्रतिशत तक बिल गड़बड़ मिले हैं। इससे पहले एमएसबीवाई के पहले चरण में बीमा कंपनी भी क्लेमों का भुगतान काफी जांच पड़ताल के बाद ही कर रही थी। बीमा कंपनी ने अस्पतालों के तकरीबन 25 प्रतिशत क्लेम रिजेक्ट कर दिए थे। सरकारी अफसरों ने जिस अवधि में अस्पतालों को सीधा भुगतान किया, उस दौरान अधिकांश बिल पास कर दिए गए। 

कमेटियों ने नहीं निभाई जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना एमएसबीवाई के दौरान जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर पर कमेटियां बनाई गई थीं। इन कमेटियों पर अस्पताल के बिलों की जांच कर उसे भुगतान के लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय स्तर पर गठित कमेटी को भेजने की जिम्मेदारी थी। सूत्रों का कहना है कि जिलास्तर पर गठित कमेटियों ने बिलों को ठीक से नहीं देखा और सिर्फ दो फीसदी बिल रिजेक्ट किए गए। मुख्यालय स्तर पर गठित कमेटी ने भी इस मामले में कोई जांच पड़ताल नहीं की और अस्पतालों को भुगतान कर दिया। 
 

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