कोरोना इफेक्ट: प्रदेश में आम मरीजों के लिए नहीं खुलेंगे कोविड अस्पताल
कोरोना के मरीजों में गिरावट के बावजूद राज्यभर के डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल अभी आम मरीजों के लिए नहीं खुलेंगे। सर्दियों में संक्रमण बढ़ने की आशंका को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है। दरअसल, राज्य...
कोरोना के मरीजों में गिरावट के बावजूद राज्यभर के डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल अभी आम मरीजों के लिए नहीं खुलेंगे। सर्दियों में संक्रमण बढ़ने की आशंका को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है। दरअसल, राज्य में अक्तूबर के महीने में कोरोना संक्रमण में खासी कमी आई है। राज्य में अब हर दिन दो से तीन सौ के करीब नए मरीज मिल रहे हैं।
जबकि रिकवरी रेट 90% के पार पहुंच गया है। ऐसे में राज्य के अस्पतालों में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या चार हजार के करीब ही रह गई है। उधर, बड़ी संख्या में कोविड-19 अस्पतालों में सामान्य और आईसीयू बेड भी खाली चल रहे हैं। इसे देखते हुए कोविड अस्पतालों को आम लोगों के लिए खोलने और सभी प्रकार की ओपीडी शुरू करने की मांग हो रही थी।
इस पर सरकार ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से राय ली। विशेषज्ञों ने कोविड अस्पताल आम लोगों के लिए न खोलने की सिफारिश की है। प्रमुख वजह सर्दियों में संक्रमण बढ़ने की आशंका को बताया जा रहा है। यूरोप और अमेरिका में संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है और मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
इसे देखते हुए माना जा रहा है कि देश में ऐसी नौबत आ सकती है। फिलहाल कुछ महीनों तक कोविड हॉस्पिटलों में सामान्य मरीजों का इलाज बंद ही रखने का निर्णय लिया गया है। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा, डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटलों को फिलहाल कोरोना मरीजों के लिए ही आरक्षित रखने का निर्णय लिया गया है।
ओपीडी नहीं चलने से जांच पर पड़ रहा असर
राज्य में प्रमुख बड़े अस्पतालों को कोविड हॉस्पिटल बनाया गया है। इस वजह से आम मरीजों को इलाज और जांच कराने में मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजी की एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी जांच कम दामों पर होती है। कई जिला अस्पतालों में भी पैथोलॉजी जांच सस्ती दरों पर होती है। पर, यहां ओपीडी और इलाज नहीं होने से लोग कई जांच के लिए निजी अस्पताल जाने को मजबूर हो रहे हैं।