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आंकड़े भी उठा रहे महाकुंभ में सैंपलिंग पर सवाल,पॉजिटिव को थमाई थी नेगेटिव कोरोना रिपोर्ट   

हरिद्वार महाकुंभ में सैंपलिंग करने वाली एक लैब का फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद अब महाकुंभ के दौरान हुई सभी कोरोना जांच संदेह के दायरे में आ गई हैं। आंकड़ों के अध्ययन से पता चला है कि महाकुंभ के दौरान...

आंकड़े भी उठा रहे महाकुंभ में सैंपलिंग पर सवाल,पॉजिटिव को थमाई थी नेगेटिव कोरोना रिपोर्ट   
हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनMon, 14 Jun 2021 01:36 PM
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हरिद्वार महाकुंभ में सैंपलिंग करने वाली एक लैब का फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद अब महाकुंभ के दौरान हुई सभी कोरोना जांच संदेह के दायरे में आ गई हैं। आंकड़ों के अध्ययन से पता चला है कि महाकुंभ के दौरान राज्य व हरिद्वार में संक्रमण के ट्रेंड में भारी अंतर रहा। हरिद्वार में राज्य की तुलना में 38 प्रतिशत अधिक जांच हुई लेकिन फिर भी वहां पॉजिटिविटी रेट राज्य से 60 प्रतिशत कम रहा है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने हरिद्वार महाकुंभ के दौरान सैंपलिंग में फर्जीवाड़ा पकड़े जाने का मामला उजागर किया था। रविवार को सोसियल डेंवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन ने हरिद्वार के आंकड़ों को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में महाकुंभ के दौरान राज्य व हरिद्वार में कोरोना संक्रमण के ट्रेंड में भारी अंतर था। 

हरिद्वार महाकुंभ के दौरान 4 अप्रैल से 12 जून के बीच 70 दिनों में कुल 8,82,382 टेस्ट किए गए। जिसमें से 35,168 कोरोना के मामले सामने आए। जबकि इसी अवधि के दौरान 70 दिनों में पूरे राज्य में कुल 23,25,968 टेस्ट किए गए और पॉजिटिव आने वाले मरीजों की संख्या 2,34,902 रही। यानी हरिद्वार महाकुंभ के दौरान जब पूरे राज्य में कोरोना पॉजिटिविटी दर 10 प्रतिशत से अधिक चल रही थी उस समय हरिद्वार में भारी भीड़ भाड़ के बावजूद संक्रमण की दर महज 3.99 प्रतिशत थी। यदि राज्य से हरिद्वार के आंकड़ों की तुलना करें तो इस 70 दिनों के दौरान हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट उत्तराखंड की तुलना में 60 प्रतिशत कम था। 

हरिद्वार महाकुंभ के दौरान प्राइवेट लैब्स की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। यदि इस मामले में सच्चाई है तो यह एक गंभीर मामला है। राज्य पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए आंकड़ों को फिर से जांचने की जरूरत है। इसके लिए जांच का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। आंकड़ों में कोई गलती हुई है तो उसे स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं किया जाना चाहिए। 
अनूप नौटियाल, संस्थापक, एसडीसी फाउंडेशन 

 

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