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कोरोना: रेड जोन में शामिल हो चुके नैनीताल को दून ने पछाड़ा, देहरादून के रेड जोन में जाने का खतरा बढ़ा

देहरादून में मरीजों की संख्या रेड जोन में शामिल हो चुके नैनीताल जिले से भी ज्यादा हो गई है। ऐसे में अब देहरादून के रेड जोन में जाने का खतरा बढ़ रहा है। हालांकि रेड जोन का फैसला सिर्फ मरीजों की संख्या...

कोरोना: रेड जोन में शामिल हो चुके नैनीताल को दून ने पछाड़ा, देहरादून के रेड जोन में जाने का खतरा बढ़ा
हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनFri, 05 Jun 2020 02:25 PM
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देहरादून में मरीजों की संख्या रेड जोन में शामिल हो चुके नैनीताल जिले से भी ज्यादा हो गई है। ऐसे में अब देहरादून के रेड जोन में जाने का खतरा बढ़ रहा है। हालांकि रेड जोन का फैसला सिर्फ मरीजों की संख्या के आधार पर नहीं होता, पर यदि मरीज बढ़ते रहे तो जिले के अन्य सूचकांक भी खराब हो जाएंगे। 

देहरादून में गुरुवार को 36 नए मरीज मिलने के साथ ही जिले में मरीजों की संख्या 324 हो गई जबकि रेड जोन में शामिल नैनीताल में 310 मरीज हैं। देहरादून में एक्टिस केस 266 हैं और 47 मरीज ठीक हो चुके हैं।

मानकों के अनुसार, किसी भी जिले में यदि 200 से ज्यादा संक्रमित हैं तो वह रेड जोन में जा सकता है। दून में मरीजों के डबल होने की दर भी रेड जोन के मानक से अधिक है। जिले में प्रति लाख की आबादी पर एक्टिव केस 15 के करीब पहुंच गए हैं।

एक्टिव केस 15 से अधिक होने पर भी जिला रेड जोन में जाता है। हालांकि मृत्युदर, सैंपलिंग और सैंपल पॉजिटिव आने के मामले में जिला रेड जोन के मानकों से पीछे है।

अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया ने बताया, छह मानकों के परीक्षण पर जिले की श्रेणी तय होती है। छह में से तीन मानक रेड जोन में होने पर जिला रेड जोन में शामिल कर लिया जाता है। रविवार को नए सिरे से जिलों की जोन निर्धारित किए जाएंगे।  

 

जिलेवार कोरोना के मरीज 
जनपद       कोरोना के मरीज

देहरादून       259
नैनीताल       308
टिहरी          101
यूएसनगर      84
हरिद्वार         86
पौड़ी            42
अल्मोड़ा        64
पिथौरागढ़      28
चमोली          25
उत्तरकाशी     22
बागेश्वर          23
चंपावत          36
रुद्रप्रयाग        08
प्राइवेट लैब     67 
कुल            1153

 

कोरोना की जांच में  हिमाचल और त्रिपुरा से भी पीछे उत्तराखंड
उत्तराखंड में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सैंपलिंग की रफ्तार नहीं बढ़ पा रही। लैब की संख्या सीमित होने और जिला अस्पतालों में जांच की सुविधा नहीं होने से सैंपलिंग के मामले में अन्य प्रदेशों के मुकाबले उत्तराखंड पिछड़ता जा रहा है।  

कोरोना पर लगाम लगाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सैंपलिंग को सबसे कारकर हथियार माना जा रहा है। लेकिन उत्तराखंड इस मामले में काफी पीछे नजर आ रहा है।

देश में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद उत्तराखंड में फरवरी के अंत से ही सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। जांच शुरू हुए तीन महीने से अधिक समय बीतने को है और इस दौरान महज 33,081 लोगों के सैंपल ही जांच को भेजे जा सके हैं।

पड़ोसी राज्य हिमाचल में अब तक 40,000 से अधिक सैंपलों की जांच हो चुकी है। पिछले 10 दिन में हुई सैंपलिंग को पैमाना बनाया जाए तो भी उत्तराखंड में हिमाचल और त्रिपुरा जैसे राज्यों से भी कहीं कम सैंपलिंग हुई है।

राज्य में फिलहाल पांच सरकारी और एक प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच की जा रही है। इसमें से एक लैब बुधवार को ही शुरू हुई है।

 

 

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