नौ माह तक जिस नवजात को कोख में रखा और जिसके लिए प्रसव जैसी असहनीय पीड़ा सही। उसी नवजात को एक मां सीने से लगाना तो दूर पांच दिन बाद भी एक झलक तक नहीं देख सकी है। मां कोरोना संक्रमित होने के कारण जिला अस्तपाल में भर्ती है। जबकि कोरोना जांच में नवजात स्वस्थ्य होने के बाद चिकित्सकों ने उसे घर भेज दिया है। बच्ची मां की जगह बाजार का दूध पीने को मजबूर है।
कोरोना वायरस ने दुनिया में सामाजिक, धार्मिक कार्यो में ही नहीं बल्कि मनुष्य के रिश्तों को भी प्रभावित किया है। जिला महिला अस्पताल में बीते रविवार को कोरोना संक्रमित एक गर्भवती ने नवजात बच्ची को जन्म दिया। प्रसव के बाद नवजात की कोरोना जांच की गई। रिपोर्ट नैगेटिव होने पर चिकित्सकों ने नवजात को अलग कक्ष में भर्ती कर दिया। महिला को जिला अस्पताल में शिफ्ट किया गया।
प्रसव पीड़ा से ज्यादा दर्दनाक है नवजात से दूरी
पिथौरागढ़। महिला ने कहा नवजात से दूरी उसे प्रसव पीड़ा से अधिक दर्द दे रही है। कहा कोरोना के कारण वह अपनी बच्ची को जन्म के बाद एक बार भी अपने सीने से भी नहीं लगा सकी। इस बात का उसे हमेशा मलाल रहेगा।
पति और सास भी कोरोना संक्रमित, सभी आइसोलेट
पिथौरागढ़। प्रसूता महिला के अलावा एंटीजन टेस्ट में उसका पति और सांस भी कोरोना पॉजिटिव आए हैं। तीनों जिला अस्पताल में भर्ती हैं। नवजात की देखरेख उसकी नानी कर रही है।
प्रसव के बाद बच्ची को देखते ही सारे तकलीफ दूर हो जाती है, लेकिन कोरोना के कारण मैं अपनी बच्ची को नहीं देख सकी। फिलहाल वह स्वस्थ्य है, इस बात की खुशी है।
रेनू (काल्पनिक नाम), प्रसूता