कॉर्बेट-राजाजी में हर बाघ की तैयार होगी ‘कुंडली’, देशभर में बाघों की मौत के बाद उठे कई सवाल
हर वन प्रभाग में टाइगर सेल बनाकर उसमें क्षेत्र के बाघों का डाटा एकत्र किया जाएगा। उत्तराखंड के साथ देशभर में बाघों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन बाघों की मौत की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
कॉर्बेट और राजाजी नेशनल पार्क सहित उत्तरांखड के जंगलों में बाघों की सुरक्षा को मजबूत करने की तैयारियां चल रही हैं। इसके लिए प्रत्येक बाघ की उम्र सहित ‘कुंडली’ खंगालकर डाटा इकट्ठा किया जाएगा। सीसीटीवी और थर्मल कैमरों के साथ सेटेलाइट के जरिये इन पर नजर रखी जाएगी। वहीं वाहनों में लगे जीपीएस से जंगल में गश्त करने वाले कर्मचारियों की निगहबानी होगी।
हर वन प्रभाग में टाइगर सेल बनाकर उसमें क्षेत्र के बाघों का डाटा एकत्र किया जाएगा। उत्तराखंड के साथ देशभर में बाघों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन बाघों की मौत की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। देश में औसतन हर दूसरे दिन एक बाघ की मौत हो रही है। इससे बाघों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इसे देखते हुए उत्तराखंड में एक-एक बाघ की सुरक्षा पर ध्यान देने की कवायद शुरू की गई है।
इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से मिलने वाली मदद से इतर करीब 11 करोड़ के बजट का इंतजाम किया गया है। यह बजट प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैंपा) सहित अन्य मदों से जुटाया गया है। इससे बाघों की सुरक्षा के लिए जरूरी उपकरण खरीदने के साथ नए संसाधन जुटाए जाएंगे।
बाघों की मौत पर दूर होगा संशय
मौजूदा वक्त में किसी बाघ की मौत होने पर यह पता लगाना मुश्किल होता है कि बाघ किसी रिजर्व फॉरेस्ट का था या बाहरी जंगल का। बाघों की कुंडली उपलब्ध होने पर यह संशय दूर करने में भी मदद मिलेगी। मौत के कारण भी आसानी से पता लगाए जा सकेंगे।
टाइगर रिजर्व और बाहरी जंगलों के बाघों की सुरक्षा के लिए बजट का इंतजाम कर लिया गया है। इससे प्रत्येक बाघ के मूवमेंट पर नजर रखी जाएगी।
समीर सिन्हा, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, उत्तराखंड
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