संविदा डॉक्टरों ने क्यों बढ़ाईं‘आयुष्मान’ की मुश्किलें, पढ़िए पूरी खबर
स्वास्थ्य विभाग के कुछ संविदा डॉक्टर ‘अटल आयुष्मान’ योजना के लिए चुनौती बन गए हैं। इन डॉक्टरों और प्राइवेट अस्पतालों की मिलीभगत से अब तक 15 लाख रुपये का संदिग्ध भुगतान कराया जा चुका है।...
स्वास्थ्य विभाग के कुछ संविदा डॉक्टर ‘अटल आयुष्मान’ योजना के लिए चुनौती बन गए हैं। इन डॉक्टरों और प्राइवेट अस्पतालों की मिलीभगत से अब तक 15 लाख रुपये का संदिग्ध भुगतान कराया जा चुका है। ‘अटल आयुष्मान’ योजना लागू होने के बाद उत्तराखंड में 30 हजार लोग अब तक अस्पतालों में भर्ती हो चुके हैं। इनमें से 20 हजार मरीजों के इलाज का क्लेम अस्पतालों की ओर से स्वास्थ्य विभाग को मिला है। सूत्रों ने बताया कि इलाज के बदले 16 करोड़ के बिल आ चुके हैं और इसमें से तकरीबन 10 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। इस भुगतान में से 15 लाख का भुगतान संदिग्ध बताया जा रहा है। इसकी जांच भी चल रही है। सूत्रों ने यह भी जानकारी दी कि कुछ डॉक्टरों और अस्पतालों ने मिलीभगत करके सामान्य मरीजों को इमरजेंसी में भर्ती दिखाया है। कई मरीजों को गलत मेडिकल पैकेज के तहत भर्ती किया गया। इसके अलावा कुछ डॉक्टर एक ही अस्पताल में मरीजों को रेफर करते हुए पाए गए हैं। ऐसे में निजी अस्पतालों के साथ संविदा डॉक्टरों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। ‘अटल आयुष्मान’ योजना को संचालित करने वाली सोसायटी के चेयरमैन डीके कोटिया ने बताया कि इस योजना में गड़बड़ी रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जिन अस्पतालों में गड़बड़ी मिली है, वहां मुफ्त इलाज पर रोक लगाते हुए जांच कराई जा रही है। उन्होंने कहा, गड़बड़ी करने वाले डॉक्टरों की जानकारी जल्द ही स्वास्थ्य विभाग को दी जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग में 600 संविदा डॉक्टर
स्वास्थ्य विभाग में 600 के करीब संविदा डॉक्टर हैं। इनमें से कई डॉक्टर लम्बे समय से अच्छी सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन, कुछ डॉक्टरों और अस्पतालों ने संविदा डॉक्टरों को अब सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रविंद्र थपलियाल ने बताया कि नियमों के अनुसार, संविदा डॉक्टरों को निजी अस्पताल में काम करने की मनाही नहीं है। लेकिन, एक समय में डॉक्टर दो जगह इलाज नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच चल रही है।