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कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश पंचतत्व में विलीन, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सहित इन नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान पर रखा गया। सीएम तीरथ सिंह रावत सहित भाजपा व कांग्रेस के नेताओं...

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश पंचतत्व में विलीन, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सहित इन नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनMon, 14 Jun 2021 10:35 AM
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कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान पर रखा गया। सीएम तीरथ सिंह रावत सहित भाजपा व कांग्रेस के नेताओं ने उनको श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में नैनीताल रोड से अंतिम दर्शन के लिए नेता प्रतिपक्ष इंदिरा की शव यात्रा निकाली। शव यात्रा के दौरान लोगों ने उनको नम आंखों से श्रद्धांजलि दी। नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश पंचतत्व में विलीन हो गईं। रानीबाग चित्रशिला घाट में उनके पुत्र बॉबी हृदयेश, सौरभ हृदयेश और सुमित हृदयेश ने चिता को मुखाग्नि दी। सोमवार सुबह से ही नैनीताल रोड स्थित उनके आवास संकलन में उनके अंतिम दर्शन के लिए कांग्रेस नेताओं, उनके समर्थकों और स्थानीय नेताओं का तांता लगा रहा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, सांसद अजय भट्ट, कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, यशपाल आर्य और अरविंद पांडेय सहित कई भाजपा नेता भी पहुंचे।

सुबह करीब 10 इंदिरा के के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के स्वराज आश्रम आश्रम लाया गया। यहां भी समर्थकों का तांता लगा रहा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल श्रद्धांजलि देने पहुंचे। स्वराज आश्रम से इंदिरा की शवयात्रा नैनीताल रोड होते हुए चित्रशिला घाट पहुंचीं। यहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। इंदिरा के चले जाने से हल्द्वानी का आम से लेकर खास हर नागरिक दुखी है।

आपको बता दें कि रविवार को नई दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 80 वर्ष की थीं। रविवार देर शाम उनका पार्थिव शरीर रुद्रपुर पहुंचा। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं और लोगों ने वाहन रुकवाकर इंदिरा को श्रद्धांजलि अर्पित की। वाहन में इंदिरा के पुत्र सुमित हृदयेश भी मौजूद रहे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से श्रद्धांजलि देने के बाद शव वाहन देर रात हल्द्वानी पहुंच गया। बता दें कि इंदिरा के तीन पुत्र हैं, जिनमें से एक बेटे सुमित राजनीति के क्षेत्र में हैं।  मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश के अंतिम दर्शन यात्रा में सोमवार को हल्द्वानी में शामिल होंगे।

 

इंदिरा साधारण अध्यापिका से बनीं असाधारण नेता  
करीब पचास साल के सियासी जीवन के बाद नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का निधन हो गया। इंदिरा उन महिला नेताओं में शामिल रहीं, जिन्होंने सियासत में अपने दम पर मुकाम बनाया। उनकी सियासी पहचान अपनी बात साफगोई से कहने वाली नेता की रही। कांग्रेस हो  या विपक्ष के लोग इसलिए उनका बेहद सम्मान करते हुए उन्हें दीदी बुलाते थे। नौकरशाही को कसकर रखने वाली नेता के बतौर भी इंदिरा को सियासी हलकों में याद किया जाएगा। इंदिरा हृदयेश। ये नाम केवल राजनीति ही नहीं, शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी प्रसिद्ध रहा। राजनीति में कदम रखने से पहले लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए और पीएचडी की उपाधि ली। इसके बाद हल्द्वानी स्थित ललित आर्य महिला इंटर कॉलेज में शिक्षिका बनीं। इतना ही नहीं, इसी विद्यालय में वे करीब 39 साल तक प्रधानाचार्या भी रहीं। एक साधारण अध्यापिका रहीं इंदिरा देखते ही देखते एक असाधारण नेता बन गई, जिनके निधन पर आज हर कोई दुखी है। 

पिथौरागढ़ में बेरीनाग ब्लॉक के दशौली गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित टीकाराम पाठक और समाजसेवी रमा पाठक के घर जन्मी इंदिरा ने अपने कार्यक्षेत्र की उपलब्धियों से नारी जाति को गौरव के शिखर तक पहुंचाया। जिस जमाने में बालिका शिक्षा दूर की कौड़ी समझी जाती थी, उस वक्त उन्होंने स्कूली ही नहीं, उच्च शिक्षा भी हासिल की। डॉ. इंदिरा हृदयेश ने लखनऊ विवि से एमए और पीएचडी की डिग्री ली। उच्च शिक्षा के बाद हल्द्वानी के ललित आर्य महिला इंटर कॉलेज में उन्होंने एक शिक्षिका के रूप में अध्यापन शुरू किया। दृढ़ निश्चय और संकल्प के बूते वह इसी विद्यालय में साल 1962 से 2001 तक प्रधानाचार्या रहीं। इस दौरान करीब 39 साल में उन्हें विद्यालय को खूब संवारा। 1970 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1974 में पहली बार कुमाऊं एवं गढ़वाल स्नातक शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद की सदस्य के लिए भारी मतों से विजयी रहीं। 

अस्तबल को स्कूल बना संवारा भविष्य
ललित आर्य महिला इंटर कॉलेज के प्रधान लिपिक आरएस लमगड़िया ने बताया कि डॉ. इंदिरा ने अंग्रेजों के जमाने के घोड़ों के अस्तबल को विद्यालय का रूप दिया। उन्होंने बताया कि इस दौरान विद्यालय का रिजल्ट हमेशा बेहतर रहा। 2001 में रिटायरमेंट के बाद वे इस विद्यालय की प्रबंधक रहीं। इस अवधि में उन्होंने विद्यालय में शिक्षकों की कमी, नई इमारत बनाने जैसे कई सराहनीय कार्य किए। लमगड़िया ने खुद 15 साल उनके साथ नौकरी की।

इंदिरा ने देर रात तक देखी फिल्म
हल्द्वानी। नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश का दिल्ली में बैठकें निपटने और भोजन के बाद रात करीब एक बजे अपने कमरे में गईं। उन्होंने कुछ देर फिल्म भी देखी। उनके बेटे सुमित हृदयेश ने बताया कि, उत्तराखंड सदन के स्टाफ ने बताया कि सुबह करीब 4 बजे उन्हें उल्टी हुई थीं। सुबह करीब 10 बजे कमरे से आवाज आई, तो स्टाफ कक्ष में गया। मगर, वहां उन्होंने देखा वह कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही हैं। इसके बाद उत्तराखंड सदन में ही डॉक्टर बुलाये गए। उन्होंने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।

सांसद अजय भट्ट और अनिल बलूनी आवास पहुंचे 
रविवार देर शाम नैनीताल सांसद अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने डॉ.इंदिरा हृदयेश के हल्द्वानी स्थित आवास पर पहुंच कर श्रद्धांजलि दी। दिल्ली से रात 9:10 बजे उनका पार्थिव शरीर हल्द्वानी लाया गया। जैसे ही एंबुलेंस आवास के बाहर पहुंची समर्थकों और पार्टी नेताओं ने एंबुलेंस को घेर लिया। सभी अपनी नेता की एक झलक देखना चाहते थे। 

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