मंहगाई और बेरोजगारी से पिस रहे आम आदमी को भी नए साल से काफी उम्मीद हैं। इस साल रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल के दामों में तो काफी इजाफा हुआ ही है। दाल-सब्जी, फल के दमों में भी बेतहाश बढोत्तरी हुई है। वहीं कोरेाना की वजह से रोजगार पर भी गहरी चोट पड़ी है। हजारों की संख्या में लोगों के रोजगार छिन गए हैं। हरिद्ववार बाईपास रोड स्थित मधुर विहार निवासी बीना देवरानी कहती हैं, जिस प्रकार महंगाई का ग्राफ बढ़ता जा रहा है, आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। जिस रफ्तार से महंगाई बढ़ रही है, आमदनी उसी क्रम में घट रही है। नए साल से तो यही उम्मीद है कि महंगाई पर कुछ लगाम लगे।
नए साल से हर सेक्टर को तरक्की की उम्मीदें लगी है। लेकिन आम मध्यमवर्गीय व्यक्ति की एक ही कामना है किसी भी प्रकार मंहगाई पर अंकुश लगे। और उसके बच्चों के लिए रोजगार के अवसर कम न हो। वर्ष 2020 मध्यमवर्ग के लिए काफी दुखदायी साबित हुआ है। कोरोना की वजह से जहां हजारों लोगों के रोजगार छिन गए। वहीं दिन ब दिन महंगाई भी अपना आकार बढ़ाती रही है।
देवभूमि बेरोजगार मंच के प्रदेश अध्यक्ष राम कंडवाल कहते हैं कि जिस प्रकार कोरोना का कहर जारी है, उससे नहीं लगता कि जल्द कोई राहत मिलेगी। बेरोजगारी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। जिन लोगों के पास रोजगार है वो तो जैसे तैसे जीवन काट लेंगे,लेकिन जिसके पास आमदनी का कोई स्रोत ही नहीं है, वो कहां जाएगा? सरकार को चाहिए कि इस पहलुओं पर विशेष फोकस रखे।
महंगाई:
रसोई गैस: रसोई गैस सिलेंडर का मूल्य जुलाई 2020 में 593 रुपये तक था। जो आज दिसंबर आते आते 714 रुपये तक पहुंच गया है।
पेट्रोल-डीजल: जनवरी में डीजल का मूल्य 68.72 रुपये प्रतिलीटर था। जो आज 74.29 रुपये प्रतिलीटर तक जा चुका है। पेट्रोल का मूल्य जनवरी में 75.99 रुपये प्रतिलीटर तक था। जो कि अब बढ़कर 83. 67 रुपये तक हो गया है।
दाल-सब्जी-फल:रोजमर्रा के जीवन में जरूरी आटा,दाल,तेल,सब्जी, फलों के दाम में में शुरू से उतारचढ़ाव आते रहे। सामान्य सब्जियों के दाम भी आसमान छूते रहे। टमाटर के दाम 80 रूपये तक पहुंचे तो प्याज और आलू के दाम भी खून के आंसू रुलाते रहे हैं।
बेरोजगारी: बेरोजगारी का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस वक्त आठ लाख से ज्यादा बेरोजगार विभिन्न रोजगार दफ्तरों में रजिस्टर्ड हैं। कोरेाना काल में वापस उत्तराखंड लौटे प्रवासियों के लिए सरकार ने उपनल में रजिस्ट्रेशन खोला था। दो महीने के भीतर ही 50 हजार से ज्यादा लोगों ने नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया था। जबकि नौकरियां पांच प्रतिशत को भी नहीं मिली।