लोकायुक्त के बिना ही भ्रष्टाचार पर सबसे ज्यादा कार्रवाई हुई है: सीएम त्रिवेंद्र रावत
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने लोकायुक्त मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर पलटवार किया है। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस बताए, जहां लोकायुक्त है, वहां भ्रष्टाचार के मामलों में कितनी कार्रवाई हुई...
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने लोकायुक्त मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर पलटवार किया है। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस बताए, जहां लोकायुक्त है, वहां भ्रष्टाचार के मामलों में कितनी कार्रवाई हुई है?
सीएम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उत्तराखंड में लोकायुक्त के बिना ही भ्रष्टाचार पर सबसे ज्यादा कार्रवाई हुई है। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार व कदाचार पर अब तक 50-55 अफसर व कर्मचारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। त्रिवेंद्र ने कहा कि कांग्रेस बेवजह के मुद्दों को तूल देने की कोशिश करती है। यदि वह भ्रष्टाचार पर वास्तव में संवेदनशील है तो दस साल तक सरकार में रहने के बावजूद लोकायुक्त का गठन क्यों नहीं किया? भाजपा सरकार ने जनता से भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का जो वादा किया था, उस पर पूरी तरह से काम कर रही है। जो भी मामले प्रकाश में आए हैं, कांग्रेस सरकार के समय की तरह उन्हें दबाया नहीं बल्कि कड़ा एक्शन लिया। इसे जनता भी महसूस भी कर रही है। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त फिलहाल सदन की संपत्ति है। संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने सदन में क्या कहा, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। अलबत्ता, भ्रष्टाचार पर उनकी सरकार ऐसा करके दिखाएगी कि जनता को लोकायुक्त की कमी महसूस ही नहीं होगी। कांग्रेस को तो इस पर सिर्फ राजनीति करनी है, जबकि वे धरातल पर काम करने पर विश्वास रखते हैं।
यूपी से हर साल 600 करोड़ मिलेंगे
सीएम ने कहा कि आवंटित कर्मियों की बकाया पेंशन के रूप में उत्तराखंड को यूपी से हर साल 600 करोड़ रुपये मिलेंगे। यूपी ने वर्ष 2011 से पेंशन देना बंद कर दिया था, इसके बाद से इसमें न राज्य और न केंद्र सरकार ने दिलचस्पी ली। केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद इस पर गंभीरता से काम हुआ व अब योगी सरकार ने इसे सहमति दे दी।