सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रमोशन छोड़ना नहीं होगा आसान, वरिष्ठयता हो जाएगी खत्म
सरकार ने दुर्गम स्थानों में तैनाती से बचने वाले कर्मचारियों पर शिकंजा कस दिया है। अब प्रमोशन छोड़ना अनुशासनहीनता के दायरे में आएगा। दूसरी बार प्रमोशन छोड़ने पर कार्मिकों को अपनी वरिष्ठता से भी हाथ धोना...
सरकार ने दुर्गम स्थानों में तैनाती से बचने वाले कर्मचारियों पर शिकंजा कस दिया है। अब प्रमोशन छोड़ना अनुशासनहीनता के दायरे में आएगा। दूसरी बार प्रमोशन छोड़ने पर कार्मिकों को अपनी वरिष्ठता से भी हाथ धोना पड़ेगा।
उधर, सरकार ने उत्तराखंड के सभी 11 विश्वविद्यालयों के लिए अंब्रेला ऐक्ट को भी मंजूरी दे दी। अब सभी विवि में कुलपति की अधिकतम आयु सीमा 70 साल हो जाएगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। सरकार ने उत्तराखंड राज्याधीन सेवा पदोन्नति परित्याग (फार गो) नियमावली 2020 को मंजूरी दे दी है।
सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि सभी विभागों के कार्मिकों के प्रमोशन पर यह नियमावली लागू होगी। पहली बार किसी कर्मचारी का प्रमोशन होने पर यदि वे तैनाती स्थल पर नहीं जाते हैं तो नियुक्ति प्राधिकारी इस पर फैसला लेंगे।
इसी साल यदि दोबारा डीपीसी होती है तो नियुक्ति प्राधिकारी प्रमोशन के लिए अर्ह जूनियर कर्मचारी का प्रस्ताव भी देंगे। जूनियर कर्मचारी का प्रमोशन होने पर ऐसे कर्मचारी, जिन्होंने पूर्व में प्रमोशन छोड़ा, नोशनल प्रमोशन मांगने के हकदार नहीं होंगे। वरिष्ठता खोने से इनके वेतन पर असर भी पड़ेगा।
‘हिन्दुस्तान’ ने पहले ही कर दिया था यह खुलासा: आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने चार जुलाई के अंक में यह समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। कार्मिकों के विरोध के चलते सरकार ने पिछली कैबिनेट में यह प्रस्ताव स्थगित किया था, मगर बुधवार को हुई कैबिनेट में इस नियमावली को मंजूरी दे दी गई।
पदोन्नति छोड़ने का पत्र देना भी अनुशासनहीनता
कोई कर्मचारी डीपीसी से पहले यदि विभागाध्यक्ष को यह लिखकर देता है कि उन्हें प्रमोशन नहीं चाहिए तो इसे अब अनुशासनहीनता के दायरे में माना जाएगा। इस अवधि में यदि कर्मचारी तबादला ऐक्ट के दायरे में आ रहा होगा तो अनिवार्य रूप से उनका तबादला किया जाएगा।