पलायन के चलते उत्तराखंड के मतदाता संख्या में पैदा हुईं विसंगतियां, जानिए कैसे
पलायन के चलते उत्तराखंड के विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता संख्या में विसंगतियां पैदा हो गई हैं। देहरादून की धर्मपुर विधानसभा में सबसे ज्यादा 1.93 लाख मतदाता हैं, जो रुद्रप्रयाग के दोनों विस क्षेत्रों...
पलायन के चलते उत्तराखंड के विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता संख्या में विसंगतियां पैदा हो गई हैं। देहरादून की धर्मपुर विधानसभा में सबसे ज्यादा 1.93 लाख मतदाता हैं, जो रुद्रप्रयाग के दोनों विस क्षेत्रों की कुल मतदाता संख्या (1.88 लाख) से ज्यादा है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने अंतिम मतदाता सूची जारी की। इसके अनुसार, पहाड़ की 12 सीटों पर मतदाता संख्या 90 हजार से नीचे रह गई। जानकारों के मुताबिक, पहाड़ के मुकाबले जिस रफ्तार से बड़े शहरों में मतदाता संख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से भविष्य में सीटों का बढ़ना तय है। इससे पहाड़ का सियायी रुतबा काफी प्रभावित हो जाएगा।
मैदानी जिलों का दबदबा
धर्मपुर सीट मतदाता के लिहाज से सबसे बड़ी विस सीट है। यहां कुल मतदाता 1.93 लाख से ज्यादा हैं। देहरादून की रायपुर सीट पर 1.64, सहसपुर सीट पर 1.56, डोईवाला सीट पर 1.51 और ऋषिकेश सीट पर 1.55 लाख मतदाता हो चुके हैं। वहीं, यूएसनगर के रुद्रपुर में 1.78 और काशीपुर में 1.63 लाख मतदाता पंजीकृत हैं। नैनीताल की कालाढूंगी सीट पर 1.62 लाख, जबकि हरिद्वार जिले की बीएचईएल सीट पर 1.54 लाख मतदाता संख्या है।
पहाड़ी जिलों में सन्नाटा
उत्तरकाशी की पुरोला सीट पर कुल मतदाता संख्या 71,341 तक पहुंच पाई है, जो राज्यभर में सबसे कम है। पहाड़ की 12 सीटों पर मतदाता संख्या 90 हजार भी नहीं पहुंच पाई है। इसमें रानीखेत (78 हजार), लैंसडौन (82 हजार), चौबट्टाखाल (89 हजार), सोमेश्वर (85 हजार), अल्मोड़ा (89 हजार), गंगोत्री (83 हजार), केदारनाथ (87 हजार), देवप्रयाग (82 हजार), नरेंद्रनगर (87 हजार), प्रतापनगर (82 हजार), टिहरी (80 हजार), धनोल्टी (81 हजार) शामिल है।