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एनएच 74 घोटाले में फंसे दो आईएएस अफसरों को चार्जशीट

उत्तराखंड सरकार ने एनएच 74 जमीन मुआवजा घोटाले में सस्पेंड आईएएस पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव को चार्जशीट सौंप दी है। दोनों को 14 दिन के भीतर जवाब देना होगा। इसके बाद सरकार किसी वरिष्ठ...

एनएच 74 घोटाले में फंसे दो आईएएस अफसरों को चार्जशीट
देहरादून, विशेष संवाददाताSun, 30 Sep 2018 08:55 AM
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उत्तराखंड सरकार ने एनएच 74 जमीन मुआवजा घोटाले में सस्पेंड आईएएस पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव को चार्जशीट सौंप दी है। दोनों को 14 दिन के भीतर जवाब देना होगा। इसके बाद सरकार किसी वरिष्ठ आईएएस अफसर को मामले में जांच अधिकारी नामित करने पर निर्णय लेगी।

सूत्रों ने बताया कि कार्मिक विभाग ने शुक्रवार को दोनों अफसरों को चार्जशीट सौंप दी है। अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) राधा रतूड़ी के हस्ताक्षर से जारी चार्जशीट दोनों अफसरों को व्यक्तिगत रूप से थमाई गई है। उनसे 14 दिन के भीतर चार्जशीट में लगे आरोप का उत्तर देने को कहा गया है।

चार्जशीट में दस्तावेज भी थमाए
एक वरिष्ठ अफसर का कहना है कि एसआईटी ने दोनों अफसरों पर जो आरोप तय किए हैं, उन्हीं पर चार्जशीट को केंद्रित किया गया है। चार्जशीट के साथ ऐसे कुछ दस्तावेज भी शामिल किए हैं जिनमें आर्बिट्रेटर के रूप में दायित्वों का उल्लेख है। मसलन आर्बिटेशन एंड कंसीलेशन एक्ट 1996 व एनएच एक्ट 1956 में आर्बिट्रेटर के क्या-क्या अधिकार हैं और अफसरों ने कहां गड़बड़ियां की हैं, इसका भी उल्लेख किया है। 

अभियोजन की अनुमति भी जल्द
आईएएस पंकज कुमार पांडेय के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी जल्द मिल सकती है। एसआईटी पांडेय के विरुद्ध मुकदमा शुरू करने की अनुमति मांग चुकी है, जबकि सस्पेंड आईएएस चंद्रेश कुमार यादव के खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश की है। अभी सरकार की तरफ से अभियोजन की अनुमति नहीं मिली, लेकिन पांडेय इससे पहले अग्रिम जमानत को हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। 10 अक्तूबर को उनके अर्जी पर सुनवाई प्रस्तावित है।

पीसीएस अफसरों की जांच लंबित
इस घपले में सात पीसीएस अफसर अनिल कुमार शुक्ला, दिनेश प्रताप सिंह, सुरेंद्र सिंह जंगपांगी, नंदन सिंह नगन्याल, भगत सिंह फोनिया, जगदीश लाल और तीर्थपाल सिंह निलंबित हो चुके थे। सवा साल पहले इन्हें भी चार्जशीट दी गई थी। प्रमुख सचिव मनीषा पंवार को यह जांच सौंपी गई है, लेकिन सालभर से जांच पूरी नहीं हो पाई।

क्या था मामला
ऊधमसिंहनगर जिले में वर्ष 2011 से 2016 के दौरान चार तहसीलों जसपुर, काशीपुर, बाजपुर और सितारगंज में एनएच-74 के विस्तार में जमीनों के मुआवजे के नाम पर बंदरबांट हुई थी। लैंडयूज बदलने से लेकर जमीनों के बाजारी मूल्य से कई गुना अधिक काश्तकारों को मुआवजा दे दिया गया था। पहले इस मामले की जांच कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर डी सेंथिल पांडियान ने की थी, उनकी रिपोर्ट पर सात पीसीएस अफसर समेत कई कर्मचारी सस्पेंड हुए थे। बाद में त्रिवेंद्र सरकार ने जांच एसआईटी को सौंपी, जिसमें तब यूएसनगर के डीएम रहे दो आईएएस भी जद में आ चुके हैं। अब तक यह घपला 400 करोड़ से ऊपर तक पहुंच चुका है।

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