ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तराखंडचमोली त्रासदी: भांजा मासूम है, बहन की ढाई साल पहले हुई थी शादी, घर में क्या जवाब दूं ?

चमोली त्रासदी: भांजा मासूम है, बहन की ढाई साल पहले हुई थी शादी, घर में क्या जवाब दूं ?

तपोपन साइट के बाहर आपदा प्रभावित लोगों के परिजनों की भीड़ में गुमसुम खड़े अजय नेगी के परिवार भी  आसमान टूट पड़ा है। उनके जीजा सत्यपाल बर्तवाल यहां इलेक्ट्रििशयन के रूप में तैनात थे। बाढ़ के बाद से...

चमोली त्रासदी: भांजा मासूम है, बहन की ढाई साल पहले हुई थी शादी, घर में क्या जवाब दूं  ?
हिन्दुस्तान टीम, तपोवन। संजीव कंडवालWed, 10 Feb 2021 10:06 AM
ऐप पर पढ़ें

तपोपन साइट के बाहर आपदा प्रभावित लोगों के परिजनों की भीड़ में गुमसुम खड़े अजय नेगी के परिवार भी  आसमान टूट पड़ा है। उनके जीजा सत्यपाल बर्तवाल यहां इलेक्ट्रििशयन के रूप में तैनात थे। बाढ़ के बाद से उनका भी पता नहीं है। पोखरी मसोली गांव के रहने वाले अजय बताते हैं ढाई साल पहले ही उनकी बहन का विवाह सत्यपाल से हुआ था। बार-बार चेहरे के सामने अपने डेढ़ साल के भांजे को चेहरा घूमने लगता है। बहन फोन कर कर के पूछ रही है, भैजी, त्यार जिजाजी कन छीं ? ठीक छीं न ? मैं क्या बताऊं कि कुदरत ने जाने किस जन्म का बदला हमसे लिया है ? हमारी तो सारी खुशियां ही उजड़ गई हैं। भगवान करे, जीजा जी सकुशल मिल जाएं।

मौत बनकर आए सैलाब ने सब लील लिया    
तपोवन। बाढ़ से बाल बाल बचे ताराचंद की आंखों में अब भी उस खतरनाक मंजर का खौफ पसरा है। ताराचंद तपोवन प्रोजेक्ट में मोटर आपरेटर के रूप में नियुक्त थे। घटना वाले दिन वो साइट से कुछ ऊंचाई वाले क्षेत्र में मोटर चला रहे थे। घुटे घुटे शब्दों के साथ वो बताते हैं कि अचानक मैने धमाके की आवाज सुनी। ऐसी तेज आवाज कभी सुनी नहीं थी। सामने देखा तो होश उड़ गए। अपनी आपबीती बताते ताराचंद के रोंगटे खड़े हो चुके थे। बताया कि सामने सैलाब सब कुछ तबाह करते हुआ आ रहा था। मैंने नीचे काम कर रहे लोगों को आवाज देकर आगाहकरने को चिल्लाया पर शोर इतना ज्यादा था कि किसी को सुनाई ही न दिया। जब तक लोग समझे तब तक मौत पानी और मलबे के रूप में उन्हें निगल लिया।

बच्चे मां से पूछ रहे हैं कि पापा कहां हैं?
तपोवन।
यहां निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना की अंधेरी सुरंग में फंसे 35 लोगों के जीवन बचाने के लिये जहां मशीनें सुरंग के अंदर जाकर गाद निकालने में दिन रात जुटीं हैं वहीं इस सुरंग में जो लोग पिछले 3 दिन से फंसे हैं उनके परिजन और मासूम बच्चे मां से दिन रात यही सवाल पूछ रहे हैं। मां पापा कहां हैं ! काम से कब लौटेंगे। 

केस-1: इस परियोजना की सुरंग में नन्दप्रयाग सोनी खंताली के सत्येश्वर प्रसाद पुरोहित इस परियोजना में पम्प आपरेटर हैं । रविवार को वे अपने साथी हरीश बिष्ट और अभिषेक के साथ कार्य स्थल पर गये। सत्येश्वर की पत्नी बताती हैं कि बेटी दिव्यांशी, ज्योति बार- बार पूछ रही हैं कि पापा कहां हैं! काम से कब लौटेंगे! सत्येश्वर प्रसाद की पत्नी कहतीं हैं कि सुरंग के अंदर फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिये आधुनिक मशीनें लगाई जाएं।

केस-2: तपोवन के नजदीक ढाक के हरीश बिष्ट के घर पर भी यही आलम है। हरीश भी इसी परियोजना में कार्यरत हैं । रविवार को अवकाश होने के बाबजूद वे और अभिषेक और सत्येश्वर इमरजेंसी ड्यूटी के कारण कार्य स्थल पर गये । और सुरंग में फंस गये। 

केस-3: जोशीमठ और आस पास के  गांवों के लोगों के वे लोग जो परियोजना में कार्यरत हैं। वे भी इस टनल में फंसे हैं । उनके परिजनों की भी यही सवाल है कि हमारे लोग जो सुरंग के अंदर फंसे हैं कब सुरक्षित बाहर आएंगे। इसको लेकर लोग बैचेन हैं। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें