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उत्तराखंड: लाखों व्यापारियों को ‘पेंशन’ का तोहफा

तोहफा 1  केंद्र सरकार ने बीती फरवरी के अंतरिम बजट में श्रमयोगी योजना की घोषणा की थी। यह योजना 15 हजार प्रतिमाह आय वाले लोगों के लिए थी। इसमें 60 साल की उम्र पूरी होने पर 3000 हजार रुपये...

उत्तराखंड: लाखों व्यापारियों को ‘पेंशन’ का तोहफा
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनSat, 06 Jul 2019 04:43 PM
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तोहफा 1 
केंद्र सरकार ने बीती फरवरी के अंतरिम बजट में श्रमयोगी योजना की घोषणा की थी। यह योजना 15 हजार प्रतिमाह आय वाले लोगों के लिए थी। इसमें 60 साल की उम्र पूरी होने पर 3000 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन का प्राविधान है। राज्य में योजना के तहत 22,484 लोग आवेदन कर चुके हैं। सीएचसी सेंटर के माध्यम से योजना के लिए आवेदन हो रहा है। श्रमयोगी योजना की तर्ज पर अब केंद्र सरकार ने शुक्रवार को आम बजट में खुदरा व्यापारी व दुकानदारों के लिए प्रधानमंत्री कर्मयोगी योजना शुरू की है। सालाना डेढ़ करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले व्यापारी योजना के दायरे में आएंगे। साथ ही रेहड़ी, ठेली, होटल, दुकान चलाने सभी छोटे व्यापारी योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए व्यापारियों को आवेदन करना होगा और बचत खाता, आधार कार्ड, स्वघोषणा पत्र के आधार योजना का लाभ मिलेगा। श्रमयोगी योजना की तरह इसमें भी प्रीमियम भरना पड़ सकता है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है। श्रमयोगी योजना श्रम विभाग के अधीन हैं, लेकिन योजना के लिए आवेदन कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए हो रहे हैं। इसका पूरा रिकॉर्ड केंद्र के पास जा रहा है। कर्मयोगी योजना का संचालन भी इसी तरह से हो सकता है।

तोहफा 2 
राज्य के सभी बेघरों को घर मिलने की उम्मीद

केंद्रीय बजट में मोदी सरकार की फ्लैगशिप परियोजना प्रधानमंत्री आवास योजना पर खास महत्व दिया गया है। इसके तहत देश में वर्ष 2022 तक सभी बेघरों को आवास देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस घोषणा से राज्य के सभी बेघरों को 2022 तक पक्की छत मिलने की उम्मीद जगी है।  उत्तराखंड में आवासहीन लोगों को पक्का आवास उपलब्ध कराने के लिए शहरी विकास विभाग, प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) व ग्राम्य विकास विभाग, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) संचालित कर रहा है। शहरी क्षेत्रों में बेघरों की संख्या करीब 1.04 लाख  और ग्रामीण क्षेत्रों में 45 हजार आंकी गई है। ग्रामीण क्षेत्र में राज्य सरकार न्यूनतम 25 वर्गमीटर आवास निर्माण के लिए अधिकतम 1.30 लाख रुपये तक सहायता प्रदान करती है। जबकि शहरी क्षेत्रों में यह सहायता डेढ़ लाख रुपये तक की है। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में राज्य सरकार भी एक लाख रुपये की सहायता अपनी तरफ से देती है। इसके साथ ही बैंकों के माध्यम से भी लाभार्थियों को सीधे सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है।  हालांकि लक्ष्य के मुताबकि योजना की रफ्तार अभी काफी सुस्त है। प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में विभिन्न प्राधिकरणों और आवास विकास प्राधिकरणों को सस्ते घर बनाने का लक्ष्य दिया तो गया है, लेकिन अभी योजना पर उम्मीद के मुताबिक काम नहीं हुआ है। अब नए बजट से इस परियोजना में तेजी आने की उम्मीद है। 

तोहफा 3 
सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए खोला खजाना

मोदी सरकार-02 के बजट में सीमांत ब्लॉकों के विकास के लिए बजट प्रावधान बढ़ाने से उत्तराखंड के पांच जिलों को सीधा फायदा होगा।  केंद्र ने बजट में सीमांत क्षेत्रों में बुनियादी सुविधा विकास के लिए 2119 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। बॉर्डर विकास परियोजना को 825करोड़ रुपए प्रस्तावित किए हैं। उत्तराखंड की 424 किलोमीटर सीमा नेपाल और चीन से लगती है। इस तरह इन सीमांत क्षेत्रों में विकास को केंद्र से ज्यादा बजट मिलेगा। 2001 में चीन-नेपाल सीमा से लगते राज्य के नौ ब्लॉकों को सीमांत के रूप में चिन्हित करते हुए केंद्र यहां सीमांत क्षेत्र विकास योजना संचालित कर रहा है। इसके तहत इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के विकास पर जोर है। इन ब्लॉकों में चमोली में जोशीमठ, चंपावत में चंपावत व लोहाघाट, उत्तरकाशी में भटवाड़ी, यूएसनगर में खटीमा और पिथौरागढ़ का मुनस्यारी, धारचूला, कनालीछीना, मूनाकोट ब्लॉक शामिल हैं। इन ब्लॉकों में अवस्थापना विकास के लिए बजट में प्रावधान बढ़ाने से यहां विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है। इससे सीमांत के पलायन पर भी रोक लगने की उम्मीद है। साथ ही राज्य सरकार भी सीमांत और पिछड़े ब्लॉक के लिए अलग से उत्तराखंड सीमांत एवं पिछड़ा क्षेत्र विकास निधि राज्य संचालित करती है। पूरी तरह राज्य के बजट से चलने वाली इस योजना में सीमांत और पिछड़ा क्षेत्रों में ऐसी योजनाओं पर काम किया जाता है जो दूसरी योजनाओं में शामिल नहीं हैं। 


तोहफा 4
खेती और पशु-मछली पालन को मिलेगी गति

बजट में कृषि सेक्टर पर सरकार के फोकस का लाभ उत्तराखंड को भी मिलने की उम्मीद है। खासकर दुग्ध विकास और मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में उत्तराखंड को फायदा मिल सकता है। ग्रीन-व्हाइट-ब्लू क्रांति में बजट पूर्व के मुकाबले 2500 करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया है। इसी प्रकार  प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, फसल बीमा योजना, हरित क्रांति, कर्ज सब्सिडी के लिए भी जिस प्रकार बजट बढ़ा है, उससे भी राज्य के लिए उम्मीद बंधी है।

दुग्ध विकास और मछली उत्पादन को लगेंगे पंख
वर्ष 2019-20 के बजट में कृषि-दुग्ध व मत्स्य विकास पर खास फोकस रखा गया है। इन सेक्टर में गतवर्ष के मुकाबले बजट अनुमान 2499 करोड़ रुपये अधिक का है। ग्रीन, व्हाइट और ब्लू क्रांति के रूप में इन्हें आगे बढ़ाया जाएगा।
राज्य में तीनों सेक्टरों में काम चल रहा है और उत्तराखंड को लाभ मिलना तय है।

राज्य में बढ़ेगा फसल बीमा सुरक्षा का दायरा
पीएम कृषि सिंचाई योजना में बजट अनुमान पहले के मुकाबले 3069 करोड़ रुपये, फसल बीमा में 4581 करोड़ रुपये, फसल विज्ञान में 300 करोड़, शार्ट टर्म लोन सब्सिडी में 4954 करोड़ रुपये बढ़ोतरी का अनुमान है। प्राकतिक आपदाओं की वजह से हर साल राज्य के किसानों का नुकसान होता है। फसल बीमा 
का दायरा बढ़ने का राज्य के किसानों को फायदा मिलेगा।


छह लाख से ज्यादा किसानों की सम्मान निधि कायम
फसल बुवाई से पहले खाद और बीज के लिए उत्तराखंड के किसानों को दो-दो हजार रुपये की सहायता राशि की निरंतरता को केंद्र सरकार ने बनाए रखा गया है। वर्ष 2019-20 के लिए केंद्र सरकार ने 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। राज्य में 7.65 लाख किसान इस निधि के दायरे में है। करीब छह लाख किसानों का ब्योरा नेशनल पोर्टल पर अपडेट भी हो चुका है।

बजट में किसानों की आमदनी को दोगुनी करने का संकल्प साफ नजर आ रहा है। सरकार ने हर सेक्टर में बजट में वृद्धि की है। उत्तराखंड को इनका लाभ मिलना तय है। राज्य सरकार ने भी किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। बजट के प्रावधानों से इसे और गति मिलेगी। 
सुबोध उनियाल, कृषि एवं उद्यान मंत्री 

 

 

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