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उत्तराखंड : लाभार्थियों के वोट से लौटी भाजपा, हिन्दुस्तान-लोकनीति सीएसडीएस के सर्वेक्षण में हुआ यह खुलासा

उत्तराखंड की जनता ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत से विजयी बनाया। इसमें केंद्र और राज्य की कल्याणकारी योजनाओं का बड़ा हाथ स्पष्ट नजर आता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के बाद सबसे बड़ी...

उत्तराखंड : लाभार्थियों के वोट से लौटी भाजपा, हिन्दुस्तान-लोकनीति सीएसडीएस के सर्वेक्षण में हुआ यह खुलासा
Ajay Singhहिन्‍दुस्‍तान ,नई दिल्‍ली Mon, 14 Mar 2022 10:11 AM
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उत्तराखंड की जनता ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत से विजयी बनाया। इसमें केंद्र और राज्य की कल्याणकारी योजनाओं का बड़ा हाथ स्पष्ट नजर आता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के बाद सबसे बड़ी संख्या में लाभार्थी उत्तराखंड के हैं। हिन्दुस्तान-लोकनीति सीएसडीएस के विशेष सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ कि यहां हर 10 में सात परिवार ने मुफ्त राशन योजना का लाभ उठाया और वोट के जरिए सरकार का आभार भी जताया। हालांकि यह जीत का अकेला कारण नहीं है। मोदी का मैजिक, विकास की चाहत और सरकार के काम से संतुष्टि ने भी भाजपा का मार्ग प्रशस्त किया। पेश है इस विशेष सर्वेक्षण की तीसरी कड़ी....

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार मतदाताओं के बीच चहुंओर ‘विकास’ का मुद्दा हावी रहा। इसके अलावा कल्याणकारी योजनाओं ने भाजपा के प्रति वोटरों को खूब लुभाया। उत्तराखंड में दस में से सात (67 फीसदी) मतदाता मुफ्त राशन और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से लाभान्वित हुआ है।

लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के अनुसार,पहाड़ी राज्य के मतदाताओं के लिए विकास चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा था। पांच में से दो लोग विकास को अहम मानते हैं, जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में विकास को चुनावी मुद्दा मानने वाले की दर 28 फीसदी से भी कम थी। लाभार्थी योजनाओं की बात करें तो कृषि क्षेत्र से जुड़े दो तिहाई घरों को हर चार महीने पर सीधे खाते में 2000 रुपये का अनुदान दिया गया। इसके अलावा 38 फीसदी घरों ने सरकार के स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का भी लाभ लिया। 46 फीसदी घर ऐसे थे जिन्होंने मुफ्त राशन के साथ खाते में नकदी का लाभ लिया। इसी के दम पर इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चुनावों में 47 फीसदी वोट हासिल किया है।

पर्यावरण को लेकर कुछ मतदाता ही चिंतित

चुनावी मौसम के बीच उत्तराखंड के कुछ लोग पर्यावरण सुरक्षा को लेकर चिंतित दिखे। इसमें चारधाम हाईवे के निर्माण और अन्य विकास कार्यों का पारिस्थितिकी तंत्र और भूगर्भ पर पड़ने वाला प्रभाव अहम मसला था। कुछ मतदाताओं के लिए ये अहम चुनावी मसला था। लोगों से जब जोर देकर पूछा गया कि वे विकास के मुद्दे या पर्यावरण सुरक्षा को तरजीह देंगे तो 59 फीसदी मतदाताओं ने मिलाजुला जवाब दिया। 15 फीसदी ने पर्यावरण को चुना,जबकि 16 फीसदी ने विकास को असली मुद्दा माना।

2017 के चुनावों में ऐसी थी तस्वीर

सर्वे के अनुसार, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में 27 फीसदी लोगों के लिए पर्यावरण असली मुद्दा था, जबकि विकास सिर्फ 12 लोगों के लिए अहम मुद्दा था। सर्वे में चारधाम योजना से जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर बात की गई, तो 56 मतदाताओं का ये मानना था कि उत्तराखंड को लाभ पर ध्यान देना चाहिए, प्रोजेक्ट से नुकसान मायने नहीं रखता है। सिर्फ 16 मतदाता इसके विरोध में थे। 28मतदाता किसी निर्णय पर नहीं थे।

महंगाई को मुद्दा नहीं मानते मतदाता 
उत्तराखंड में नौकरी करने वाली आबादी तेजी से बढ़ रही है। इसके अनुपात में रोजगार की दर बेहद कम है, नौकरी के संकट के बावजूद सिर्फ 14 फीसदी मतदाताओं के लिए ये चुनावी मुद्दा था, जो वर्ष 2017 की तुलना में सिर्फ दो फीसदी कम है। इसी तरह तेजी से जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतें सिर्फ छह फीसदी मतदाताओं के लिए प्रमुख मुद्दा हैं। वहीं, पिछले चुनाव में 11 मतदाता महंगाई या जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को मुद्दा मानते थे।

भ्रष्टाचार 69 फीसदी के लिए अहम मुद्दा 
सर्वे में शामिल मतदाताओं के लिए महंगाई और विकास भी चुनावी मुद्दा था। पांच में से एक मतदाता की मानें तो वोट देने से पहले बेरोजगारी और महंगाई उसके लिए अहम मसला था। वहीं,69 मतदाताओं के लिए भ्रष्टाचार सबसे अहम मुद्दा था।

संस्कृति बचाना भी चुनावी मुद्दे में शामिल 
लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के अनुसार, 48 फीसदी मतदाताओं के लिए पर्यावरण सुरक्षा और 47 फीसदी मतदाताओं के लिए प्रदेश की संस्कृति को बचाना भी चुनावी मुद्दा था। हालांकि ये निष्कर्ष तब निकला जब मतदाताओं के पास मुद्दों की पूरी सूची थी। व्यक्तिगत तौर पर ये मुद्दे सामने नहीं आया। वहीं, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता हरीश रावत ने पूरे दम खम के साथ चुनाव प्रचार किया। इसके बावजूद कांग्रेस को जीत नहीं दिला सके। भाजपा ने कांग्रेस से 8 फीसदी अधिक वोट बटोर लिया।

श्रेयस सारदेसाई, राकेश नेगी

मोदी की लोकप्रियता ने विरोधी लहर को मजबूत होने से रोका
उत्तराखंड में राज्य सरकार के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर का सामना करने के बावजूद भाजपा की जीत का आधार मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता थी। भले ही मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने निर्वाचन क्षेत्र में हार गए हों, लेकिन मोदी के अभियान ने पार्टी को बचा लिया है। प्रधानमंत्री राज्य में भाजपा के अभियान का प्रत्यक्ष चेहरा थे।

लोकनीति के सर्वेक्षण के बाद के आंकड़ों से पता चलता है कि लोग केंद्र में मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यों से अपेक्षाकृत अधिक संतुष्ट थे। अधिकांश उत्तराखंड वासियों ने मोदी सरकार के प्रदर्शन के आधार पर मतदान किया। हर दस में से चार मतदाताओं ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों को महत्व दिया। दूसरी ओर, हर दस में से केवल दो ने ही राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों को महत्व दिया। आधे से अधिक मतदाताओं (54) ने डबल इंजन सरकार का समर्थन किया।

विभा अत्री और संदीप शास्त्री

इस तरह किया गया सर्वे
उत्तराखंड में 15 से 23 फरवरी के बीच 26 विधानसभाओं के 104 पोलिंग बूथों पर 2738 मतदाताओं का मन टटोलन के बाद लोकनीति सीएसडीएस इस नतीजे पर पहुंचा है। हर पोलिंग बूथ पर 40 मतदाताओं का सैंपल लिया गया। इनमें से 26 मतदाताओं का उनके घर पर साक्षात्कार लिया गया। सर्वे में मुस्लिम 12, अनुसूचित जाति के 16, अनुसूचित जनजाति के तीन, महिलाएं 47 और शहरी क्षेत्र के 34 फीसदी मतदाता शामिल थे।
 

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