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भाजपा अध्यक्ष को किस नियम के तहत दी सरकारी कोठी ?

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को किस नियम से सरकारी कोठी आवंटित हुई, वो इसका कितना मासिक किराया चुकाते हैं, राज्य संपत्ति विभाग को इसका स्पष्ट जवाब नहीं सूझ रहा है। अब मुख्य सूचना आयुक्त ने सरकार को...

 भाजपा अध्यक्ष को किस नियम के तहत दी सरकारी कोठी ?
लाइव हिन्दुस्तान, देहरादून। संजीव कंडवालSat, 08 Jun 2019 01:37 PM
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को किस नियम से सरकारी कोठी आवंटित हुई, वो इसका कितना मासिक किराया चुकाते हैं, राज्य संपत्ति विभाग को इसका स्पष्ट जवाब नहीं सूझ रहा है। अब मुख्य सूचना आयुक्त ने सरकार को इसकी पूरी जानकारी सूचना मांगने वाले को देने के लिए कहा है।  लक्खीबाग निवासी सुरेश दास ने राज्य संपत्ति विभाग के पास 12 दिसंबर 18 को आरटीआई लगाकर पूछा कि अजय भट्ट को किस नियम के तहत सरकारी आवास दिया गया? उनसे कितना मासिक किराया लिया जाता है? इसके जवाब में विभाग ने बस इतनी जानकारी दी कि ‘उच्च स्तर’ पर लिए गए निर्णय के क्रम में भट्ट को उक्त आवास दिया गया है। जबकि किराये की जानकारी नहीं दी गई। सूचना से असंतुष्ट होकर उन्होंने राज्य संपत्ति विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी (अपर सचिव) के पास अपील की। 21 दिन की तय समय सीमा बीत जाने के बावजूद प्रथम अपीलीय अधिकारी ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद मामला राज्य सूचना आयोग में पहुंचा। 

अपीलीय अधिकारी को नहीं मिली रजिस्टर्ड डाक : यहां दास ने बताया कि उन्होंने रजिस्टर्ड डाक से प्रथम अपीलीय अधिकारी को उक्त प्रार्थना पत्र भेजा। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने पत्र मिलने से इनकार कर दिया। दास ने इसके जवाब में आयोग के सामने रजिस्टर्ड डाक के दस्तावेज पेश किए, जिसे आयोग ने पत्र भेजने के प्रमाण के तौर पर माना। दास ने यह भी बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर भी संपर्क किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिस पर आयोग ने कड़ी टिप्पणी की है।

 

नियमावली और टिप्पणी बताए विभाग : आयोग 
इस मामले में शुक्रवार को अंतिम  आदेश जारी करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने विभाग को आवास आवंटन की नियमावली निशुल्क आवेदक को उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही आवंटन की पत्रावली पर जो भी निर्णय लिया गया, उसकी प्रमाणित प्रतिलिपि भी देने को कहा है। साथ ही उक्त कोठी के बदले भट्ट से कितना किराया वसूला जाता है, यह जानकारी भी देने को कहा है। उन्होंने सूचना देने में की गई देरी का जांच करने और दोषी पाए जाने पर व्यवस्थाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।  

 

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