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कोटद्वार के मेयर पद पर हुई भाजपा की करारी हार का कौन जिम्मेदार ?

कोटद्वार के मेयर पद पर हुई भाजपा की करारी हार ने संगठन और रणनीतिकारों को घेरे में लेना शुरू कर दिया है। फेसबुक और व्हाट्अप पर कोई इसे नीतू की हार न बताकर भाजपा संगठन को जमकर कोस रहा है तो कोई...

कोटद्वार के मेयर पद पर हुई भाजपा की करारी हार का कौन जिम्मेदार ?
लाइव हिन्दुस्तान, कोटद्वार। आशीष बलोदीThu, 22 Nov 2018 04:16 PM
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कोटद्वार के मेयर पद पर हुई भाजपा की करारी हार ने संगठन और रणनीतिकारों को घेरे में लेना शुरू कर दिया है। फेसबुक और व्हाट्अप पर कोई इसे नीतू की हार न बताकर भाजपा संगठन को जमकर कोस रहा है तो कोई प्रत्याशी चयन पर सवाल खड़े कर रहा है। दरअसल, कोटद्वार में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की हालत इतनी पतली कभी नहीं हुई है। बागी होकर पत्नी को चुनाव लड़ाने वाले पूर्व जिलाध्यक्ष धीरेन्द्र चौहान की पत्नी विभा चौहान जहां मात्र 1578 वोट से हारी वहीं भाजपा प्रत्याशी को 13961 मतों से हार का मुंह देखना पड़ा। यह हाल तब है जब स्वयं सीएम त्रिवेन्द्र रावत यहां पर जनसभा कर चुके थे और पार्टी के तमाम बड़े नेता व विधायकों ने कोटद्वार में डेरा डाला हुआ था। इसके अलावा कोटद्वार के विधायक और काबीना मंत्री डा. हरक सिंह रावत इस सीट से 10 हजार से भी अधिक वोट से जीते थे। सोशियल मीडिया पर लोग संगठन के साथ ही स्थानीय विधायक को भाजपा की इस करारी हार का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही संगठन के जिम्मेदार लोगों ने चुनाव से दूरी बना ली थी जिसका असर चुनाव परिणाम पर पड़ा और भाजपा का कैडर वोट निर्दलीय विभा चौहान पर शिफ्ट हो गया।

भाजपा अध्यक्ष का कहना है..
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि कोटद्वार की सीट पर हार की समक्षा की जायेगी। वैसे सात में से पांच भाजपा ने जीती है। हार के कारणों का पता लगाया जायेगा।

मिली जुली छोटी सरकार को चलाना होगा चुनौती
कोटद्वार नगर निगम में सभी पार्षदों के साथ सामंजस्य बैठाकर विकास कार्य कराना एक बड़ी चुनौती होगी। विजेता पार्षदों में से अधिकांश ऐसे हैं जिन्हें राजनैतिक अनुभव नहीं है ऐसे में शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता ै।दरअसल, कोटद्वार नगर निगम के चालीस वार्डों में से 12 पार्षद बीजेपी, 10 कांग्रेस और 18 पार्षद निर्दलीय जीत कर आये हैं। निर्दलीयों में से भी अधिकांश कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं।

 

 

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