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उत्तराखंड में बेरोजगार युवकों के साथ जमकर हुआ धोखा, पिछले पांच सालों में केवल दो फीसदी को रोजगार 

उत्तराखंड में बेरोजगारी की स्थिति  काफी विकट है। सेवायोजन विभाग की भूमिका बेरोजगारों के पंजीकरण तक सिमटकर रह गई है। खुद विभागीय आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। हैरानी की बात यह है कि रोजगार मेलों के...

उत्तराखंड में बेरोजगार युवकों के साथ जमकर हुआ धोखा, पिछले पांच सालों में केवल दो फीसदी को रोजगार 
हिन्दुस्तान टीम, देहरादून। मुकेश सक्टा Wed, 16 Jun 2021 09:56 AM
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उत्तराखंड में बेरोजगारी की स्थिति  काफी विकट है। सेवायोजन विभाग की भूमिका बेरोजगारों के पंजीकरण तक सिमटकर रह गई है। खुद विभागीय आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। हैरानी की बात यह है कि रोजगार मेलों के बावजूद भी पिछले पांच साल में उत्तराखंड में महज दो फीसदी के लगभग पंजीकृत बेरोजगारों को रोजगार मिल पाया है।  युवाओं के रोजगार को लेकर सरकारी प्रयास खास मददगार साबित नहीं हो रहे हैं। नाम बड़े और दर्शन छोटे, उत्तराखंड में रोजगार मेलों पर यह लाइन सटीक बैठती है। सेवायोजन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में करीब आठ लाख बेरोजगार पंजीकृत हैं।  युवाओं को रोजगार मिल सके इसके लिए सेवायोजन विभाग की ओर से हर साल रोजगार मेलों का आयोजन किया जाता है।

इनमें प्राइवेट कंपनियां और एजेंसियां शामिल होती हैं। साक्षात्कार के आधार पर युवाओं का चयन होता है। पिछले पांच सालों में उत्तराखंड ऐसे 513 रोजगार मेले आयोजित किए और कुल 20047 बेरोजगारों को नौकरी मिली। देखा जाए तो हर साल सेवायोजन विभाग के जरिये रोजगार पाने वालों की संख्या मामूली है। 2017-18 ऐसा साल रहा, जिमसें 172 रोजगार मेले आयोजित हुए और साढ़े सात हजार के लगभग बेरोजगार युवाओं को काम मिला। हालांकि पंजीकृत बेरोजगारों की तुलना में रोजगार का प्रतिशत एक फीसदी के आंकड़े को भी नहीं छू पाया। बाकी  सालों में रोजगार पाने वालों की संख्या इससे भी कम रही। 

लगातार दूसरे साल कोविड के चलते रोजगार मेले कम आयोजित हो पाए हैं। इनमें कंपनियों और बेरोजगारों की भागेदारी भी कम रही। पूर्व में सरकारी विभागों में तृतीय-चतुर्थ श्रेणी के पद सेवायोजन विभाग के माध्यम से भरे जाते थे। लेकिन, यह अब आउटसोर्स या अन्य एजेंसियों से भरे जा रहे हैं। भविष्य के लिए हम सेवायोजन विभाग को स्वतंत्र आउटसोर्स एजेंसी बनाने जा रहे हैं। इसके जरिये पंजीकृत बेरोजगारों को सरकारी विभागों में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।       डॉ. हरक सिंह रावत, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री 

कोरोनाकाल में और खराब हुए हालात
कोरोनाकाल में बेरोजगारों की संख्या बढ़ी, वहीं लॉकडाउन के चलते रोजगार मेलों का आयोजन सीमित रहा। ऐसे में रोजगार की आस लगाए युवाओं को निराशा हाथ लगी। पिछले वित्तीय वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें तो आठ लाख 77 हजार पंजीकृत बेरोजगारों के लिए महज 46 शिविर लग पाए। महज 1398 युवाओं को नौकरी मिल पाई। मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी कोरोना संकट के कारण रोजगार मेलों के आयोजन में दिक्कत आ रही है।

राज्य में रोजगार के आंकड़ों की जुबानी
वर्ष             पंजीकरण    मेले    नियुक्तियां     प्रतिशत

2016-17    926308      106    2773             0.29%
2017-18    891141      172    7489             0.84%
2018-19    829139      105    5678            0.68%
2019-20    778077      84      2709            0.34%
2020-21    807722      46     1398             0.17%
(आंकड़े सेवायोजन निदेशालय के अनुसार के अनुसार)

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