Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़basmati rice is dumped in warehouse amid lockdown 4 due to corona virus pandemic in uttarakhand

लॉकडाउन 4.0: बंदरगाहों में डंप हो रहा है उत्तराखंड का बासमती, 25 फीसदी तक निर्यात में कमी 

लॉकडाउन की मार उत्तराखंड की बासमती भी झेल रही है। देश के कई बंदरगाहों पर निर्यात के लिए पहुंची बासमती, वहीं डम्प होकर रह गई है। इस कारण कुल निर्यात में 25 फीसदी तक कमी आई है। उत्तराखंड तराई से ही...

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान टीम, रुद्रपुर , Fri, 29 May 2020 07:31 PM
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लॉकडाउन 4.0: बंदरगाहों में डंप हो रहा है उत्तराखंड का बासमती, 25 फीसदी तक निर्यात में कमी 

लॉकडाउन की मार उत्तराखंड की बासमती भी झेल रही है। देश के कई बंदरगाहों पर निर्यात के लिए पहुंची बासमती, वहीं डम्प होकर रह गई है। इस कारण कुल निर्यात में 25 फीसदी तक कमी आई है।

उत्तराखंड तराई से ही 800 केटेंनर बासमती प्रतिमाह विदेशों में निर्यात होता है। रुद्रपुर की केएलए फर्म उत्तराखंड से बासमती और नॉन बासमती चावल का निर्यात करने वाली बड़ी कंपनी है।

फर्म कुल मिलाकर 20 हजार टन प्रतिमाह चावल का निर्यात करती है। अब लॉकडाउन के चलते पांच हजार टन प्रतिमाह का निर्यात घट गया है। अब प्रति माह 15 हजार टन ही निर्यात हो पा रहा है।

बंदरगाहों पर मजूदरों की कमी से चलते लोडिंग-अनलोडिंग में आ रही दिक्कत से 25 फीसदी माल वहीं डम्प हो रहा है। हालांकि मिलों के पास मजदूरों की कमी नहीं है।

मिलों में लॉकडाउन के दौरान भी काम चलता रहा। केएलए के एमडी अरुण अग्रवाल के मुताबिक वह प्रतिमाह 20 हजार टन बासमती और नॉन बासमती चावल का 43 देशों में निर्यात करते हैं।

बंदरगाहों में मजूदरों की कमी के चलते 25 फीसदी माल वहां डम्प हो रहा है। बंदरगाहों के ज्यादातर मजदूर अपने घरों को लौट चुके हैं।


यहां डम्प है माल 
मुंबई, मुंद्रा गुजरात, विशाखापत्तनम, वर्धमान, पश्चिम बंगाल

 

निर्यात वाली प्रमुख वैरायटी
बासमती-देहरादूनी बासमती, उषा बासमती, सरबती बासमती, 1121 
नॉन बासमती-आईआर-36, 64, 8

 

इस समय बाजार में केवल आवश्यक वस्तुओं की ही मांग है। इस कारण फैक्ट्रियों में करोड़ों रुपए का तैयार माल भी डम्प पड़ा हुआ है। नया उत्पादन न होने के बीच पुराना माल भी न बिक पाना उद्योग जगत पर दोहरी मार है।  
विनीत धीमान, महासचिव, हरिद्वार इंडस्ट्रियल एसोसिएशन
 

काशीपुर: 10 करोड़ का एपल पल्प पेस्ट डम्प
महुआखेड़ा गंज स्थित हिमालयन फूड पार्क में लगभग 10 करोड़ का एपल पल्प पेस्ट और जूस कंसलटेंट डंप पड़ा हुआ है। जूस बनाने वाली ब्रांडेंड कंपनियों को अप्रैल में यह माल जाना था। 
 
लेकिन लॉकडाउन के चलते सप्लाई नहीं हुई। फूड पार्क के संचालक अश्वनी छाबडा ने बताया इस समय मात्र टमाटर पेस्ट तैयार हो रहा है, इसके अलावा अन्य उत्पादन बंद पड़े हैं। छावड़ा के मुताबिक आने वाले एक साल तक कारोबार प्रभावित रहने के आसार हैं। 


सितारगंज: फैक्ट्रियों में करोड़ों का स्टॉक डम्प
सितारगंज के कई उद्योगों में करोड़ों का स्टॉक डंप पड़ा हुआ है। मजबूरन उद्यमियों ने उत्पादन कम कर दिया है। क्राकरी बनाने वाली लाओ पाला कम्पनी के एचआर मैनेजर दुर्गेश मोहन ने बताया कि लॉकडाउन के बाद आर्डर मिलने बंद हैं।

सभी कम्पनियों में स्टॉक है। बेलमार्क्स प्राइवेट लिमिटेड के जीएम रमन चौधरी ने बताया कि अशोक लीलैंड के लिए वह वाहन की बॉडी तैयार करते हैं। लॉक डाउन के बाद से उनकी कम्पनी में काम बंद है।


गोदाम में फंसा माल निकालना पहली चुनौती
देहरादून। लॉकडाउन के चलते उत्पादन ठप होने से परेशान उद्योग जगत के सामने एक बड़ी चिंता अपने पुराने स्टॉक को बाजार में पहुंचाने की भी उठ खड़ी हुई है। कम्पनियों के गोदाम भरे होने से कारोड़ों रुपए का कारोबार अटका हुआ है।

औद्योगिक क्षेत्र सेलाकुई की विभिन्न कंपनियों में करीब सात सौ करोड़ रुपये का माल अब तक डंप पड़ा हुआ है। कंपनियों ने बड़े पैमाने पर सीजन के हिसाब से अग्रिम तौर पर माल का उत्पादन तो कर दिया।

लेकिन लॉकडाउन के कारण बाजार बंद होने से माल की सप्लाई ही नहीं हो पाई। इलेक्ट्रोनिक्स, इलेक्ट्रिकल, फुटवेयर, प्लास्टिक इंडस्ट्रीज में यही हाल है। इस कारण कम्पनियों को उत्पादन कम करना पड़ रहा है।

इंडियन इंडस्ट्रियल ऐसोसिएशन के उपाध्यक्ष लतीफ चौधरी के मुताबिक सभी कम्पनियां इस समस्या से जुझ रही हैं, हालांकि अब स्थिति धीरे धीरे सुधर रही है। इधर, रुड़की स्माल स्केल इंडस्ट्रीज में 150 उद्योग है।

एसोसिएशन के सचिव अजय भरद्वाज के मुताबिक करीब पांच करोड़ का माल डंप पड़ा है। भगवानपुर औद्योगिक इलाके में भी 400 फक्ट्रियां है। यहां इलेक्ट्रिक सामान बनाने वाली फक्ट्रियो में पंखे, कूलर का सामान डंप है। इसका सीजन धीरे- धीरे समाप्त होता जा रहा हैं।  

इधर, सिडकुल हरिद्वार में भी यही स्थिति है। कॉस्मेटिक उत्पाद बनाने वाली कम्पनी नेचर मैजिक के संचालक रवि गिरी का कहना है कि लॉकडाउन लगने के समय करीब नौ करोड़ का सामान बिल्कुल तैयार था।

लेकिन बंदी के चलते अब यह सामान गोदाम में बेकार हो रहा है। लोग जरूरी समान पहले और कॉस्मेटिक की तरफ बाद में देख रहे हैं। 

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