खोज : ब्लैक होल के पास चमक का राज खुला, अब ब्रह्मांड के रहस्य खुलेंगे
ब्रह्मांड के रहस्य सुलझाने में जुटे वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की कार्यप्रणाली का अहम हिस्सा खोजा है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ब्लैक होल के निकट एक्रीएशन डिस्क के रूप में चमक, ऊर्जा, उस पर...
ब्रह्मांड के रहस्य सुलझाने में जुटे वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की कार्यप्रणाली का अहम हिस्सा खोजा है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ब्लैक होल के निकट एक्रीएशन डिस्क के रूप में चमक, ऊर्जा, उस पर बनने वाला रेडिएशन ड्रैग इफेक्ट तय कर रहा है। पत्थर या पैराशूट नीचे फेंका जाए तो नीचे की हवा के प्रतिरोध को ड्रैग इफेक्ट कहा जाता है। कोलकाता के बोस इंस्टीट्यूट के सानंद रायचौधरी के नेतृत्व में हुए शोध को इज़राइल के बार इलान विवि के मुकेश व्यास, नैनीताल एरीज के वैज्ञानिक इंद्रनील चट्टोपाध्याय ने पूरा किया है। चट्टोपाध्याय ने बताया कि ब्लैक होल की ओर धूल, गैस गिरती है तो चारों ओर चमकदार प्लेट की आकृति बनती है, जिसे एक्रीएशन डिस्क नाम दिया जाता है। ब्लैक होल की ओर गिरते इन तत्वों का कुछ हिस्सा बाहर निकलता है, जो एक्रीएशन डिस्क के तत्वों से टकरा तेज रोशनी आती है।
शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र ही ब्लैक होल
ब्लैक होल शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र वाली कोई ऐसी खगोलीय वस्तु है, जिसके खिंचाव से प्रकाश भी नहीं बच सकता। ऐसा माना जाता है कि ब्लैक होल के भीतर जो वस्तुएं गिर जाती हैं, वह दोबारा बाहर नहीं निकल सकतीं। ब्लैक होल की अवधारणा महान भौतिकविद अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में सबसे पहले सामने आई थी।
ब्रह्मांड के रहस्य खुलेंगे
ब्रह्मांड उत्पति, विस्तार, गतिविधियों के बारे में खगोल वैज्ञानिकों को बहुत नहीं पता। ऐसे में शोध ब्रह्मांड की बनावट, काम के तरीके को समझने के लिए छोटा कदम साबित होते हैं। वैज्ञानिक तारों, आकाश गंगा से ब्रह्मांड की हर गतिविधि पर नजर रखे हैं।