ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तराखंडExclusive: गिरीश कर्नाड को उत्तराखंड से था विशेष लगाव

Exclusive: गिरीश कर्नाड को उत्तराखंड से था विशेष लगाव

ज्ञानपीठ व साहित्य अकादमी प्राप्त नाटककार, लेखक, अभिनेता गिरीश कर्नाड को उत्तराखंड के रंगमंच की दुनिया में बेहद अदब से देखा जाता है। उनके अनेक नाटकों का मंचन उत्तराखंड के रंगकर्मियों ने किया है। नाटक...

Exclusive: गिरीश कर्नाड को उत्तराखंड से था विशेष लगाव
लाइव हिन्दुस्तान, देहरादून। शैलेन्द्र सेमवालWed, 12 Jun 2019 05:57 PM
ऐप पर पढ़ें

ज्ञानपीठ व साहित्य अकादमी प्राप्त नाटककार, लेखक, अभिनेता गिरीश कर्नाड को उत्तराखंड के रंगमंच की दुनिया में बेहद अदब से देखा जाता है। उनके अनेक नाटकों का मंचन उत्तराखंड के रंगकर्मियों ने किया है। नाटक करने से पहले उसके लेखक से मंचन की स्वीकृति लेना जरूरी होता है। अक्सर रंगकर्मी लेखकों से इसकी स्वीकृति लेते हैं। लेकिन गिरीश कर्नाड अपने नाटकों के मंचन की पूर्व अनुमति दे देते थे। बात जब उत्तराखंड के रंगकर्मियों की हो तो उन्हें सहर्ष नाटक करने की अनुमति देते थे। गिरीश कर्नाड को उत्तराखंड से लगाव था। वह उत्तराखंड के कई स्थानों से परिचित थे। ये बात खुद गिरीश कर्नाड ने इस संवाददाता को 2009 में अपने मसूरी प्रवास के दौरान बताई थी।

वह कहते थे कि जवानी के दिनों में बद्रीनाथ, केदारनाथ की यात्रा करना उनके जीवन का सुखद एहसास था। वह चाहते थे कि यहां के लोकनाट्य को भी अपने शब्दों में उकेरा जाए। इसके लिए उन्होंने स्थानीय सम्पर्कों से जानकारियां जुटानी शुरू की थी। देहरादून की प्रमुख रंगमंच संस्था दून घाटी ने उनके दो नाटक तुगलक और नागमंडल का मंचन किया था। इन नाटकों से जुड़े रंगकर्मी बृजेश नारायण के अनुसार तुगलक नाटक में नकारात्मक बातों के बीच भी उन्होंने तुगलक के सकारात्मक पक्ष को उभारने की कोशिश की। संस्था द्वारा ही हर साल आयोजित भारत रंग महोत्सव में उनके लिखे चर्चित नाटक हयबदन, रक्तकल्याण, ययाति का भी मंचन दून में हो चुका है। रंगकर्मी नवनीत गैरोला के अनुसार, गिरीश के कई नाटकों में फंतासी भी देखने को मिलती है जो उनकी रचनात्मक सोच को दर्शाता था। 

 

मसूरी में एक विवाह समारोह में हुए थे शामिल
गिरीश कर्नाड मसूरी के एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए अपनी पत्नी समेत नवंबर 2009 में मसूरी आए थे। ये शादी 7100 फीट की ऊंचाई पर हाथीपांव स्थित जार्ज एवरेस्ट हाउस के खुले परिसर में बौद्ध रीति रिवाज से हुई थी। दुल्हा थे मुबंई निवासी फिल्म एडीटर आमोर आदित्य व दुल्हन प्रख्यात अंग्रेजी लेखक जॉन के की बेटी नेल। नेल स्कॉटलैंड टीवी में एक्ट्रेस थी। दरअसल आमोर और नेल अपनी शादी खास अंदाज में करना चाहते थे। ये गिरीश कर्नाड का ही सुझाव था कि दोनों भारत के प्रथम सर्वेयर जनरल सर जार्ज एवरेस्ट की ऑब्जरवेट्री रही मसूरी की इस लोकेशन में विवाह सूत्र में बंधे। इस शादी को उन्होंने वैडिंग एडवेंचर नाम दिया था।

शादी के बाद लंच जॉर्ज एवरेस्ट में हुआ और डिनर कुलड़ी में। नेल के लेखक पिता जॉन के ने अपनी एक किताब में इस ऑबजरवेट्री के बारे में विस्तार से लिखा था और गिरीश ने वह किताब पढ़कर इस जगह की अपने स्तर पर छानबीन की थी। इस जगह की ऐतिहासिकता व महत्व से वे बेहद प्रभावित थे। कुलड़ी के मिनर्वा होटल में उनके समेत विवाह समारोह में शामिल होने वाले सभी मेहमानों को ठहराया गया था। मेहमानों की सूची में फिल्म, टीवी जगत में काम करने वाले अनेक कलाकार, तकनीशियन्स भी शामिल हुए थे। इसमें क्विक गन मुरुगन के निर्देशक शशांक घोष भी शामिल थे। 

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें