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Pulwama Encounter: शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की 1st Anniversary की दोस्त कर रहे थे प्लानिंग

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के बैजरो ढौंड गांव के मूल निवासी मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल का घर देहरादून के नेशविला रोड के 36 डंगवाल मार्ग में हैं। सेना के 55 राष्ट्रीय राइफल में तैनात मेजर की शादी पिछले...

Pulwama Encounter: शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की 1st Anniversary की दोस्त कर रहे थे प्लानिंग
लाइव हिन्दुस्तान टीम,देहरादून Tue, 19 Feb 2019 01:04 PM
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उत्तराखंड के पौड़ी जिले के बैजरो ढौंड गांव के मूल निवासी मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल का घर देहरादून के नेशविला रोड के 36 डंगवाल मार्ग में हैं। सेना के 55 राष्ट्रीय राइफल में तैनात मेजर की शादी पिछले साल अप्रैल में कश्मीरी पंडित निकिता कौल से हुई थी। सोमवार सुबह की मेजर की पत्नी दिल्ली मायके के लिए निकली थीं। वह जब ट्रेन में थीं तब उन्हें इसकी जानकारी मिली।

तीन बहनों में सबसे छोटे 34 साल के मेजर विभूति की शादी पिछले साल ही 19 अप्रैल को हुई थी। पत्नी निकिता कौल ढौंडियाल दिल्ली में बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करती हैं। पिता ओपी ढौंडियाल का निधन 2015 में हो चुका है। इसके बाद से मां सरोज ढौंडियाल बीमार रहने लगी हैं। दो बहनों की शादी हो चुकी है। तीसरी बहन की शादी नहीं हुई है। वह दून इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षिका हैं। मेजर विभूति ढौंडियाल का परिवार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के बैजरों के पास ढौंड गांव का रहने वाला है। विभूति के दादा केएन ढौंडियाल 1952 में दून आकर बस गए थे। विभूति के पिता और दादा दोनों ही राजपुर रोड स्थित एयरफोर्स के सीडीए कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए थे।

शहीद मेजर की पत्नी निकिता कौल ढौंडियाल सप्ताहांत पर ससुराल आती थीं। सोमवार सुबह वह ट्रेन से वापस दिल्ली ड्यूटी पर लौट रही थीं। ट्रेन मुजफ्फरनगर ही पहुंची थी कि आर्मी हेडक्वार्टर से उन्हें फोन पर पति को गोली लगने की सूचना मिली। दून में स्कूल में पढ़ा रही बहन को एक कर्मचारी ने टीवी पर चल रही खबर के बारे में बताया। वह घर पहुंचीं तो घर के बाहर काफी लोग खड़े थे। हालांकि, मां, दादी को इसकी सूचना नहीं दी गई।

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मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल दिसंबर में छुट्टी में दून आये थे। उस समय उन्होंने अपने दोस्तों से वादा किया था अपनी पहली सालगिरह में वो ग्रैंड पार्टी देंगे। मेजर विभूति के बचपन के दोस्त मयंक खंडूड़ी बताते हैं कि दिसंबर में जब विभूति आया था तो बहुत खुश था। हम साथ मिलकर सालगिरह की प्लानिंग कर रहे थे। हमने अप्रैल में होने वाली पार्टी के लिये गढ़ी कैंट में आर्मी का क्लब डीएसओआई को बुक करा लिया था। उसके बाद उनकी पत्नी निकिता और हम दोस्त प्लान कर रहे थे कि क्या-क्या और किया जाये और किस-किस को बुलाया जाये। 

मयंक बताते हैं विभूति बचपन से ही काफी होनहार और हंसमुख थे। शहीर मेजर विभूति के पड़ोसियों ने बताया कि बचपन से ही ‘विभू' काफी घुलमिल कर रहते थे। विवेकानंद खंडूड़ी ने बताया कि बचपन से विभूति को खेलते कूदते हुये देखा। उन्होंने बताया उनके दादा केशवानंद ढौंडियाल और पिता केएन ढौंडियाल दोनों ही एयरफोर्स के सीडीए में नौकरी करते थे। 2012 में विभूति के दादा केएन ढौंडियाल की मृत्यु हुई। उसके बाद 2015 में पिता ओपी ढौंडियाल का स्वर्गवास हुआ। उसके बाद विभूति की मां भी बीमार रहने लगी। उन्हें हृदय संबंधी बीमारी है।

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